शिमला के पूर्व उप महापौर ने रिज क्षेत्र में वाहनों की पार्किंग के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई
प्रशांत सुभाष
- 30 Nov 2024, 03:56 PM
- Updated: 03:56 PM
शिमला, 30 नवंबर (भाषा) शिमला नगर निगम के पूर्व उप महापौर एवं माकपा नेता टिकेन्द्र सिंह पंवार ने पुलिस में शिकायत देकर उन लोगों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, जिन्होंने यहां रिज क्षेत्र में वाहनों की पार्किंग तथा अस्थायी दुकानें लगाने की अनुमति दी थी।
पंवार ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने रिज में दो ट्रकों और एक बड़ी क्रेन की पार्किंग को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है क्योंकि यह एक संवेदनशील क्षेत्र है और वहां वाहनों की आवाजाही की अनुमति नहीं है।
संपर्क करने पर पुलिस ने पुष्टि की कि उसे शिकायत प्राप्त हुई है।
ऐतिहासिक रिज शिमला शहर के मध्य में स्थित है और वहां 1844 में निर्मित क्राइस्ट चर्च, 1910 में निर्मित पुस्तकालय भवन के अलावा महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री वाई.एस. परमार की प्रतिमाएं स्थित हैं।
ब्रिटिश शासन के दौरान रिज के नीचे 45 लाख लीटर पानी रखने की क्षमता वाले बड़े जलाशय बनाए गए थे। इन जलाशय से शहर के घरों में पेयजल आपूर्ति की जाती है। रिज डूब क्षेत्र में स्थित है और साल 2000 से इसमें समय-समय पर दरारें आ गई हैं।
शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी को लिखे अपने पत्र में पंवार ने वहां वाहन रखने की अनुमति देने वाले पुलिस अधिकारियों तथा क्षेत्र में सामाजिक और सार्वजनिक समारोहों की अनुमति देने वाले शिमला जिला प्रशासन, गृह विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
शिकायत में आगे कहा गया है कि रिज में कार्यक्रम आयोजित न करने के उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद वहां कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस पर तत्काल ध्यान दें, अन्यथा मुझे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा, जिसने पहले ही रिज पर ऐसे समारोहों की अनुमति न देने का निर्णय लिया है। फिर भी इन समारोहों का आयोजन करना अदालत के आदेशों की अवमानना है।’’
उन्होंने दावा किया कि रिज को व्यावसायिक स्थान में बदला जा रहा है।
वहीं, शिमला के महापौर सुरेन्द्र चौहान ने रिज क्षेत्र में मौजूद दुकानों को शुक्रवार को हटवा दिया। उन्होंने अधिकारियों को यह पता लगाने का निर्देश दिया कि दुकानें लगाने की अनुमति किसने दी थी।
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