बांग्लादेश ने भारत पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ‘दोहरे मापदंड’ अपनाने का आरोप लगाया
संतोष दिलीप
- 29 Nov 2024, 10:30 PM
- Updated: 10:30 PM
ढाका, 29 नवंबर (भाषा) बांग्लादेश ने शुक्रवार को दावा किया कि भारत अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा पर ‘दोहरे मानदंड’ अपना रहा है और पड़ोसी देश (भारत) की मीडिया पर ढाका के खिलाफ ‘बहुत बड़े पैमाने पर दुष्प्रचार अभियान’ चलाने का आरोप लगाया।
देशद्रोह के आरोप में हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर उपजे विवाद के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानून मामलों के सलाहकार आसिफ नजरूल ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि बांग्लादेश को लेकर भारत की गैर वाजिब चिंता जारी है।
नजरूल ने लिखा, ‘‘भारत में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के प्रति क्रूरता की अनगिनत घटनाओं का होना जारी है। लेकिन उन्हें (उन घटनाओं पर) कोई पछतावा या शर्मिंदगी नहीं है। भारत का यह दोहरा मानदंड निंदनीय और आपत्तिजनक है।’’
‘वॉयस ऑफ अमेरिका’- बांग्ला के एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए नजरूल ने लिखा, ‘‘ज्यादातर बांग्लादेशियों (64.1%) का मानना है कि अंतरिम सरकार पिछली अवामी लीग सरकार की तुलना में देश के अल्पसंख्यक समुदायों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।’’
इस बीच, बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने देश के पत्रकारों से भारतीय मीडिया के ‘दुष्प्रचार’ का ‘सच्चाई’ से मुकाबला करने का आग्रह किया।
मुख्य सलाहकार यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा, ‘‘हमें अपनी कहानियां अपने तरीके से बतानी चाहिए, अन्यथा वे (भारतीय मीडिया) हमारा विमर्श अपनी पसंद के अनुसार सेट कर देंगे।’’
पूर्व पत्रकार आलम ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि कई बांग्लादेशी पत्रकारों को अब एहसास हुआ कि कुछ भारतीय मीडिया संगठन और उनके सोशल मीडिया मंचों की ओर से चलाए जा रहे ‘बहुत बड़े पैमाने पर दुष्प्रचार अभियान’ का सामना करने का समय आ गया है।
उन्होंने कहा कि भारतीयों को पता होना चाहिए कि इसकी पूर्वी सीमा पर स्मार्ट लोग भी रहते हैं और कुछ महीने पहले इन लोगों ने मानव इतिहास की ‘सर्वोत्तम क्रांतियों’ में से एक के तहत ‘क्रूर तानाशाही’ को उखाड़ फेंका था।
आलम ने कहा कि कुछ लोग सोच सकते हैं कि भारतीय अधिक बुद्धिमान हैं, लेकिन यकीन मानिए अगर आप सच्चाई से सशक्त हैं, तो कोई भी दुष्प्रचार अभियान आपको रोक नहीं सकता।
उनकी टिप्पणी तब आई, जब छात्रों के एक समूह ने बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में भारत के कथित हस्तक्षेप का विरोध करने के लिए ढाका विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन किया।
उन्होंने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की भी मांग की, जो अगस्त में बड़े पैमाने पर छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन के बीच भारत भाग गई थीं। उनकी ओर से बांग्लादेश में ‘इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस’ (इस्कॉन) पर भी प्रतिबंध लगाने की भी मांग की गई।
छात्र अधिकार परिषद के अध्यक्ष बिन यामीन मुल्ला ने आरोप लगाया, ‘‘भारत हर हफ्ते हमारी सीमा पर लोगों को मार रहा है। अपने ही देश में अल्पसंख्यकों पर रोजाना अत्याचार कर रहा है। हाल ही में एक मस्जिद के आसपास हुई घटना में कई मुस्लिम मारे गए।’’ मुल्ला ने कहा कि बांग्लादेश भारत को मित्र राष्ट्र नहीं मान सकता।
प्रदर्शनकारियों ने पिछले 16 वर्षों में भारत के साथ हस्ताक्षरित समझौतों की समीक्षा और नदियों से उचित जल-बंटवारे के आश्वासन की भी मांग की।
भारत ने शुक्रवार को कहा कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। भारत ने पड़ोसी देश में चरमपंथी बयानबाजी में बढ़ोतरी और हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए उत्पन्न खतरों और ‘लक्षित हमलों’ के मुद्दे को भारत ने बांग्लादेश की सरकार के समक्ष लगातार और दृढ़ता के साथ उठाया है।
भाषा संतोष