प्रधानमंत्री मोदी 6 दिसंबर को ‘अष्टलक्ष्मी महोत्सव’ का उद्घाटन करेंगे
ब्रजेन्द्र नरेश
- 29 Nov 2024, 04:35 PM
- Updated: 04:35 PM
नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छह दिसंबर को पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को प्रदर्शित करने वाले उत्सव ‘अष्टलक्ष्मी महोत्सव’ का उद्घाटन करेंगे।
सिंधिया ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह महोत्सव क्षेत्र के जीवंत कपड़ा उद्योग, शिल्प और अद्वितीय भौगोलिक संकेतक (जीआई) उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक अभूतपूर्व मंच प्रदान करेगा।
पूर्वोत्तर के आठ राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम को अक्सर ‘अष्टलक्ष्मी’ या समृद्धि के आठ रूपों के रूप में जाना जाता है। वे भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मामलों के मंत्री सिंधिया ने कहा कि यह आयोजन पूर्वोत्तर के कारीगरों और खरीदारों के बीच दीर्घकालिक व्यापार संबंधों को बढ़ावा देगा और इस दौरान बड़ी मात्रा में ऑन-स्पॉट बिक्री और कई थोक ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, निवेशक सरकार के प्रतिनिधियों और उद्यमियों के साथ मिलकर कपड़ा, हस्तशिल्प, कृषि और पर्यटन में निवेश के अवसरों पर चर्चा करेंगे।
एक अधिकारी ने कहा कि एक विशेष फैशन शो का भी आयोजन किया जाएगा जिसमें पारंपरिक वस्त्रों के साथ समकालीन डिजाइन के मिश्रण को रेखांकित किया जाएगा। इसमें मूंगा रेशम गाउन और एरी रेशम स्टॉल का प्रदर्शन किया जाएगा। एक अधिकारी ने कहा कि क्षेत्र के शीर्ष डिजाइनर स्थानीय कारीगरों के साथ मिलकर शानदार परिधान तैयार करेंगे।
महोत्सव के दौरान उद्योग जगत की हस्तियां, डिजाइनर और फैशन विशेषज्ञ टिकाऊ फैशन, हथकरघा के भविष्य और पूर्वोत्तर भारत के कपड़ा उद्योग की वैश्विक क्षमता पर चर्चा करेंगे।
अधिकारी ने बताया कि दैनिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में असम के बीहू नृत्य, नगालैंड के लोक नृत्य और अन्य पारंपरिक अभिव्यक्तियां शामिल होंगी।
हाल के वर्षों में, पूर्वोत्तर क्षेत्र ने परिवहन, ऊर्जा, डिजिटल संपर्क और औद्योगिक विकास जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास में पर्याप्त वृद्धि देखी है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इन सबका उद्देश्य भौगोलिक अलगाव पर काबू पाने, क्षेत्रीय एकीकरण में सुधार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र, जो अपनी रणनीतिक स्थिति, समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, अब प्रमुख औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए एक केंद्र बिंदु बन रहा है।
विभिन्न क्षेत्रों में, उल्लेखनीय प्रगति में सेमीकंडक्टर उद्योगों की स्थापना, सड़क, रेल और वायु नेटवर्क में कनेक्टिविटी और विस्तार में सुधार के लिए मेगा पुल शामिल हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में हाल ही में बुनियादी ढांचे का विकास परिवर्तनकारी रहा है, इस क्षेत्र को दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार और व्यापार, पर्यटन और उद्योग के केंद्र के रूप में स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र की बेहतर कनेक्टिविटी, बढ़ता औद्योगिक आधार और सेमीकंडक्टर जैसे उच्च तकनीक क्षेत्रों में निवेश इसकी आर्थिक क्षमता को खोल रहे हैं, जबकि परिवहन, ऊर्जा और डिजिटल बुनियादी ढांचे में रणनीतिक पहल इस क्षेत्र को शेष भारत के साथ अधिक निकटता से एकीकृत कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि ये विकास न केवल अलगाव और पिछड़ेपन की क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करते हैं बल्कि भविष्य के विकास और समृद्धि के लिए भी मंच तैयार करते हैं।
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