वित्त मंत्रालय ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा
अनुराग प्रेम
- 28 Nov 2024, 08:53 PM
- Updated: 08:53 PM
नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) वित्त मंत्रालय ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा को बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने, चुकता पूंजी को घटाने और समग्र लाइसेंस का प्रावधान करने जैसे संशोधनों का प्रस्ताव रखा है।
ये संशोधन बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में किए जाने के लिए प्रस्तावित किए गए हैं। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने इन पर 10 दिसंबर तक जनता से टिप्पणियां मांगी हैं।
सरकार की तरफ से दिए गए प्रस्ताव के मुताबिक, भारतीय बीमा कंपनियों में एफडीआई की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दी जाएगी।
डीएफएस ने बीमा अधिनियम 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 में प्रस्तावित संशोधनों पर दूसरी बार सार्वजनिक परामर्श मांगा है।
वित्त मंत्रालय ने इससे पहले दिसंबर, 2022 में भी बीमा अधिनियम, 1938 और बीमा विनियामक विकास अधिनियम, 1999 में प्रस्तावित संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित की थीं।
बीमा अधिनियम, 1938 देश में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने वाला प्रमुख कानून है।
मंगलवार को जारी कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, नागरिकों के लिए बीमा की पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करने, बीमा उद्योग के विस्तार और विकास को बढ़ावा देने तथा व्यावसायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए बीमा कानूनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव है।
इस संबंध में, भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) और उद्योग के परामर्श से इस क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले विधायी ढांचे की व्यापक समीक्षा की गई है।
ज्ञापन में कहा गया है कि प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से बीमाधारकों के हितों को बढ़ावा देने, उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ाने, बीमा बाजार में अधिक कंपनियों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने, आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं।
ऐसे बदलावों से बीमा उद्योग की दक्षता बढ़ाने, कारोबारी सुगमता को बढ़ाने और बीमा पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे ‘2047 तक सभी के लिए बीमा’ का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा।
यह बीमा कारोबार के कामकाज के लिए रूपरेखा प्रदान करता है और बीमाकर्ता, उसके पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और इरडा के बीच संबंधों को विनियमित करता है।
इस क्षेत्र में अधिक कंपनियों के प्रवेश से न केवल पैठ बढ़ेगी बल्कि देशभर में अधिक रोजगार सृजन होगा। फिलहाल देश में 25 जीवन बीमा कंपनियां और 34 गैर-जीवन या सामान्य बीमा कंपनियां हैं।
भाषा अनुराग