अदाणी मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा जारी, कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित
ब्रजेन्द्र माधव
- 28 Nov 2024, 01:25 PM
- Updated: 01:25 PM
नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) अदाणी समूह के खिलाफ आरोपों पर तत्काल चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के हंगामे के कारण बृहस्पतिवार को राज्यसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और फिर बताया कि उन्हें अदाणी मुद्दे, मणिपुर के हालात और संभल हिंसा पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत कुल 16 नोटिस मिले हैं। उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, अखिलेश प्रताप सिंह, सैयद नासिर हुसैन और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह सहित कुछ अन्य सदस्यों ने अदाणी समूह के कथित भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और वित्तीय अनियमितताओं सहित अन्य कदाचारों के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे।
समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन और रामगोपाल यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिटास और ए ए रहीम सहित कुछ अन्य सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे जबकि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के तिरूचि शिवा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के पी संदोष कुमार सहित कुछ अन्य सदस्यों ने मणिपुर में जारी हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए।
सभापति धनखड़ ने सभी नोटिस अस्वीकार करते हुए कहा कि सदस्य इन मुद्दों को अन्य प्रावधानों के तहत उठा सकते हैं।
इसी दौरान कांग्रेस के जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि सभापति को कैसे मनाया जाए ताकि विपक्ष के नोटिस स्वीकार किए जा सकें।
इसके जवाब में धनखड़ ने कहा कि नियम इतने व्यापक हैं कि वे प्रत्येक सदस्य को योगदान देने में सक्षम बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले सत्र के दौरान एक अवसर आया था जब समय का आवंटन किया गया था लेकिन वक्ताओं की कमी के कारण उस समय का उपयोग नहीं हो सका था।
सभापति ने कहा कि सदस्य अपने मुद्दे उठा सकते हैं लेकिन यह नियमों के अनुसार होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम ‘मेरी चलेगी नहीं तो किसी की नहीं चलेगी’, वाला रवैया अपनाते हैं तो यह न केवल अलोकतांत्रिक होगा, बल्कि इस पवित्र मंच के अस्तित्व के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। मुझे कोई संदेह नहीं है कि नियमों से कोई भी विचलन इस (संविधान के इस) मंदिर की लगभग बेअदबी है।’’
इसी बीच, कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने नोटिस खारिज किए जाने के बाद व्यवस्था का प्रश्न उठाया और अदाणी मुद्दे पर चर्चा की मांग दोहराई।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा सिर्फ ये कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ अदाणी का 2300 करोड़ रुपये का प्रकरण है। इस गंभीर विषय पर सरकार को जवाब देना चाहिए। कि यह बेहद गंभीर मुद्दा है और देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है।’’
सभापति धनखड़ ने तिवारी से कहा कि उनकी कोई भी बात रिकार्ड में नहीं जाएगी। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच तिवारी अपनी बात रख ही रहे थे कि धनखड़ ने 11 बजकर 12 मिनट पर सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही कांग्रेस के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर अदाणी मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग करते नजर आए।
सभापति धनखड़ ने सदस्यों से आग्रह किया वे प्रश्नकाल का सुचारू संचालन होने दें क्योंकि यह बेहद महत्वपूर्ण होता है।
सदस्यों से अनुशासन और शिष्टाचार बनाए रखने की अपील करते हुए उन्होंने कहा की कल ही संविधान अपनाये जाने के 75 वर्ष पूरे हुए। उन्होंने यह उच्च सदन के लिए एक ऐसा क्षण था, ‘‘जब हमें राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित होकर 140 करोड़ लोगों को एक शक्तिशाली संदेश देना था। उनकी आकांक्षाओं और सपनों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से पुष्टि करना था और विकसित भारत की ओर हमारी यात्रा को आगे बढ़ाना था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह कहने में मुझे गहरा दुख हो रहा है कि हम इस ऐतिहासिक अवसर को चूक गए। जहां सदन में रचनात्मक संवाद और सार्थक बातचीत होनी चाहिए थी, वहां हम अपने नागरिकों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके।’’
सभापति ने कहा कि यह सदन केवल बहस का मंच नहीं है बल्कि यहां से राष्ट्रीय भावना गूंजनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘संसदीय अवरोध कोई समाधान नहीं है, यह एक रोग है। यह हमारी नींव को कमजोर करता है। यह संसद को अप्रासंगिकता की ओर ले जाता है। हमें अपनी प्रासंगिकता बनाए रखनी होगी। जब हम इस तरह के आचरण में संलग्न होते हैं तो हम संवैधानिक व्यवस्था से भटक जाते हैं। हम अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि संसद लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य से भटकती है तो हमें राष्ट्रवाद को पोषित करना और लोकतंत्र को आगे बढ़ाना चाहिए।’’
सभापति ने सदस्यों से सार्थक संवाद की भावना को अपनाने का आग्रह भी किया।
हालांकि, उनके आग्रह का जब सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने बारह बज कर करीब सात मिनट पर सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
नियम 267 राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है। अगर किसी मुद्दे को नियम 267 के तहत स्वीकार किया जाता है तो इससे पता चलता है कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है।
राज्यसभा की नियम पुस्तिका में कहा गया है, ‘‘कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव कर सकता है। वह प्रस्ताव ला सकता है कि उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध एजेंडे को निलंबित किया जाए। अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है तो विचाराधीन नियम को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाता है।’’
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