अमित शाह ने ग्रामीण बैंकिंग में 'सहकारिता की भावना' को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया
पाण्डेय अजय
- 26 Nov 2024, 09:27 PM
- Updated: 09:27 PM
नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंकों के महासंघ को प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को अधिक व्यवहार्य, पारदर्शी और आधुनिक बनाने को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द पैक्स के जरिये दीर्घावधि का वित्तपोषण उपलब्ध कराएगी, जिससे कृषक समुदाय को और सशक्त किया जा सकेगा।
शाह ने राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड (नेफ्सकॉब) के हीरक जयंती समारोह में कई स्थानों पर राज्य और जिला-स्तरीय सहकारी संस्थाओं में सहकारिता की भावना के कमजोर होने पर चिंता जताई।
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह चिंता का विषय है। हमें सहकार की भावना को मजबूत करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि सच्चे सहकार का मतलब सामूहिक समृद्धि और समान लाभ साझा करना है।
शाह ने कहा, ‘‘नेफ्सकॉब का काम सिर्फ बैठकें आयोजित करना और आरबीआई तथा सरकार के साथ समस्याओं का समाधान करना नहीं है। इसका काम पैक्स को व्यवहार्य, पारदर्शी और आधुनिक बनाना है।’’
सहकारी बैंकिंग सुधारों के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने पैक्स को मजबूत करने की वकालत की, जिनकी कुल संख्या 1.05 लाख है। हालांकि, इनमें से केवल 65,000 ही सक्रिय हैं।
उन्होंने नैफस्कॉब से तकनीकी उन्नयन करने, युवाओं को जोड़ने और कम लागत वाली जमाराशियों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।
शाह ने कहा कि सरकार का लक्ष्य आने वाले वर्षों में जिला सहकारी बैंकों की संख्या को मौजूदा 300 से 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है।
मंत्री ने नैफस्कॉब से पैक्स को नई प्रौद्योगिकियों के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक और गुजरात राज्य सहकारी बैंक जैसे सफल मॉडल का अध्ययन करना चाहिए।
इस समय जिला सहकारी बैंकों के पास 4.31 लाख करोड़ रुपये की जमाराशि है, जबकि राज्य सहकारी बैंकों के पास 2.42 लाख करोड़ रुपये हैं। यह क्षेत्र लगभग 4,281 करोड़ रुपये का संयुक्त लाभ कमाता है।
शाह ने सुधार के लिए मानक के रूप में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक और गुजरात राज्य सहकारी बैंक जैसे सफल मॉडल का अध्ययन करने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र को संरचनात्मक और कानूनी चुनौतियों के प्रति संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
शाह ने कहा कि राज्य और जिला सहकारी बैंकों को नाबार्ड के साथ जोड़ने के लिए आठ भाषाओं में एक सामान्य सॉफ्टवेयर पहले ही काम करने लगा है, जो तकनीकी बदलाव के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत देता है।
भाषा पाण्डेय