पंजाब: आमरण अनशन से पहले डल्लेवाल को धरना स्थल से हटाकर अस्पताल ले जाया गया
देवेंद्र अविनाश
- 26 Nov 2024, 08:34 PM
- Updated: 08:34 PM
चंडीगढ़, 26 नवंबर (भाषा) पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को किसानों की मांगों को लेकर आमरण अनशन शुरू करने से पहले ही खनौरी बॉर्डर से कथित रूप से जबरन हटाने के बाद मंगलवार को जांच के लिए लुधियाना के एक अस्पताल ले जाया गया।
किसानों ने दावा किया कि 70 वर्षीय डल्लेवाल को पुलिस ऐसे ले गई जैसे वह कोई ‘‘गैंगस्टर या आतंकवादी’’ हों।
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने आरोप लगाया कि डल्लेवाल को अनशन शुरू करने से पहले ही पुलिस सोमवार देर रात खनौरी बॉर्डर से जबरन अपने साथ ले गई। उन्होंने पुलिस कार्रवाई के लिए भगवंत मान सरकार की आलोचना की।
इस बीच, किसानों ने अपना कार्यक्रम जारी रखा और कहा कि डल्लेवाल के स्थान पर किसान नेता सुखजीत सिंह हरदोझंडे आमरण अनशन पर बैठेंगे।
इसे ‘‘निर्णायक लड़ाई’’ बताते हुए उन्होंने केंद्र से उनके मुद्दों को हल करने के लिए अगले 10 दिन में उनके साथ बातचीत फिर शुरू करने को कहा।
पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डल्लेवाल को लुधियाना के निजी दयानंद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (डीएमसी) ले जाया गया।
पुलिस उप महानिरीक्षक मनदीप सिंह सिद्धू ने कहा कि प्रशासन आमरण अनशन के आह्वान के मद्देनजर डल्लेवाल की उम्र और स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है।
सिद्धू ने कहा, ‘‘उनके स्वास्थ्य और उनकी उम्र को देखते हुए प्रशासन ने फैसला किया है कि उनकी उचित चिकित्सकीय जांच जरूरी है। हम लुधियाना के डीएमसी में उनकी चिकित्सकीय जांच करा रहे हैं।’’
डल्लेवाल ने सोमवार को घोषणा की थी कि वह फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर मंगलवार से आमरण अनशन शुरू करेंगे। डल्लेवाल ने कहा था कि वह किसानों की मांगें मनवाने के लिए अपनी जान देने को भी तैयार हैं।
पंधेर ने दावा किया कि पुलिस ने डल्लेवाल को भूख हड़ताल शुरू करने से पहले ही जबरन वहां से हटा दिया। उन्होंने इस कदम की कड़ी निंदा की और डल्लेवाल को तत्काल छोड़े जाने की मांग की।
किसानों ने कहा कि पुलिस के 250 कर्मियों का दल सोमवार देर रात ढाई बजे खनौरी सीमा पर पहुंचा और डल्लेवाल को जबरन अपने साथ ले गया।
शुरुआत में किसानों को यह जानकारी नहीं थी कि डल्लेवाल को कहां ले जाया गया है लेकिन बाद में पता चला कि उन्हें डीएमसी ले जाया गया है।
किसान नेता गुरमनीत सिंह मंगत के अनुसार, उन्हें बताया गया कि डल्लेवाल को स्वास्थ्य कारणों से अस्पताल ले जाया गया है।
बाद में, खनौरी सीमा पर मीडिया को संबोधित करते हुए पंधेर ने पंजाब पुलिस की कार्रवाई के लिए मान पर निशाना साधा और कहा कि यह वही मुख्यमंत्री हैं जो दावा करते थे कि वह किसानों के साथ हैं और उनके वकील के रूप में केंद्र से लड़ रहे हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा कि पंजाब सरकार ने ऐसा निर्णय क्यों लिया।
उन्होंने डल्लेवाल का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हमारे मुद्दे केंद्र सरकार से संबंधित हैं। पंजाब सरकार ने ऐसा फैसला क्यों लिया? हमारे बुजुर्ग और वरिष्ठ किसान नेता के साथ दुर्व्यवहार करने के बाद उन्हें ले जाया गया।’’
पंधेर ने कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा और किसान नेता सुखजीत सिंह हरदोझंडे अब आमरण अनशन पर बैठेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसानों से इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील करता हूं। हम निर्णायक लड़ाई में पहुंच गए हैं।’’
पंधेर ने केंद्र से कहा कि वह 10 दिनों के भीतर उनसे बातचीत करे और उनके मुद्दों को हल करने के लिए ठोस प्रस्ताव लेकर आए, नहीं तो वे छह दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
किसानों ने पहले ही छह दिसंबर को दिल्ली की ओर मार्च करने का आह्वान किया है।
एक अन्य किसान नेता काका सिंह ने कहा कि पुलिस ने डल्लेवाल से फोन पर बात करायी और उन्होंने (डल्लेवाल ने) कहा कि वह अस्पताल में कुछ भी नहीं लेंगे।
डल्लेवाल पहले भी किसानों की मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ चुके हैं।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार पर डल्लेवाल को ‘‘हिरासत में लेने’’ की साजिश रचने का आरोप लगाया।
बिट्टू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘किसान नेता डल्लेवाल जी को हिरासत में लेना भगवंत मान सरकार द्वारा रची गई साजिश है। उनकी गिरफ्तारी में कोई केंद्रीय एजेंसी शामिल नहीं है। यह पूरी तरह से राज्य पुलिस का काम है, जिसका उद्देश्य वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों पर दोष मढ़ना है। केंद्र सरकार हमेशा किसानों के कल्याण के लिए काम करती है और इस तरह की रणनीति में शामिल नहीं होती।’’
कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने केंद्र और पंजाब सरकार से किसानों के मुद्दों का समाधान करने को कहा।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर आमरण अनशन शुरू कर अपने आंदोलन को तेज करने की पहले ही घोषणा कर चुके हैं।
किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर तब से डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली की ओर मार्च करने से रोक दिया था।
प्रदर्शनकारी किसानों ने केंद्र पर उनकी मांगों के समाधान के लिए कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि केंद्र ने 18 फरवरी के बाद से उनके मुद्दों पर उनसे कोई बातचीत नहीं की है।
किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
भाषा
देवेंद्र