एअर इंडिया पेशाब प्रकरण: केंद्र को अनियंत्रित यात्रियों के लिए व्यापक दिशानिर्देश बनाने का निर्देश
सुरेश अविनाश
- 26 Nov 2024, 07:18 PM
- Updated: 07:18 PM
नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अनियंत्रित हवाई यात्रियों को नियंत्रित करने के लिए ‘कुछ रचनात्मक’ किये जाने की आवश्यकता जताते हुए केंद्र और विमानन नियामक ‘डीजीसीए’ को अधिक व्यापक दिशानिर्देश तैयार करने का मंगलवार को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ 73-वर्षीय एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर नवंबर, 2022 में एअर इंडिया की उड़ान में एक पुरुष सह-यात्री ने कथित तौर पर नशे की हालत में पेशाब किया था।
महिला ने केंद्र, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और सभी विमानन कंपनियों को इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश देने की मांग की।
याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वह अनियंत्रित यात्रियों से संबंधित मौजूदा दिशानिर्देशों की जांच करने और उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाने के लिए उचित रूप से संशोधित करने का संबंधित अधिकारियों को निर्देश दें।
दिलचस्प बात यह है कि न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत के साथ यात्रा करते वक्त इसी तरह की घटना का सामना करने को लेकर अपना अनुभव साझा किया।
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा, ‘‘हमें हाल ही में (इस तरह की घटना का) अनुभव हुआ। दो यात्री पूरी तरह से नशे में थे। एक वॉशरूम में जाकर सो गया। दूसरा जो बाहर था, उसके पास उल्टी के लिए एक बैग था। चालक दल में सभी महिलाएं थीं और लगभग 30 से 35 मिनट तक कोई भी दरवाजा नहीं खोल सका। इसके बाद चालक दल ने एक सह-यात्री से दरवाजा खोलने और उसे सीट पर ले जाने का अनुरोध किया। यह 2.40 घंटे लंबी उड़ान थी।’’
न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि कुछ रचनात्मक करने की आवश्यकता है।
शीर्ष अदालत ने मई, 2023 में महिला की याचिका पर केंद्र, डीजीसीए और एअर इंडिया सहित सभी विमानन कंपनियों को नोटिस जारी किये।
महिला के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि डीजीसीए ने एक जवाब दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि सब कुछ ठीक है, लेकिन याचिकाकर्ता के पास भी सुझाव हैं, जिन्हें शामिल किया जा सकता है।
केंद्र की ओर से पेश भाटी ने पीठ को बताया कि एक हलफनामा दाखिल किया गया था और अनियंत्रित यात्रियों को नियंत्रित करने के लिए दिशानिर्देश और परिपत्र अधिसूचित किए गए थे।
महिला ने मार्च, 2023 में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि वह शीर्ष अदालत जाने के लिए विवश थी क्योंकि एअर इंडिया और डीजीसीए इस घटना के बावजूद सावधानी बरतने और जिम्मेदारी से पेश आने में विफल रहे।
महिला ने 2014 से 2023 के बीच विमान यात्रियों के दुर्व्यवहार के सात मामलों का हवाला दिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि संबंधित एयरलाइन ने उनसे ठीक से नहीं निपटा।
याचिका में कहा गया है कि जब मामला अदालत में लंबित हो तो मीडिया को क्या खबर देनी चाहिए या नहीं और असत्यापित बयानों के आधार पर मीडिया में प्रकाशित सामग्रियों के प्रभावों को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश के अभाव का असर पीड़ित एवं आरोपी दोनों पर पड़ता है।
दिल्ली की एक अदालत ने 31 जनवरी, 2023 को मामले के आरोपी शंकर मिश्रा को निजी बॉण्ड और मुचलके पर जमानत दे दी थी।
भाषा सुरेश