उत्तर प्रदेश: एएमयू में दाखिले के लिए दलितों और पिछड़ों को आरक्षण देने की मांग को लेकर प्रदर्शन
सं आनन्द जितेंद्र
- 26 Nov 2024, 03:57 PM
- Updated: 03:57 PM
अलीगढ़, 26 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में दाखिले के लिए हिंदू दलितों और पिछड़ों को आरक्षण देने की मांग को लेकर नवगठित ‘एएमयू आरक्षण संघर्ष मोर्चा’ ने मंगलवार को विरोध मार्च निकाला। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों के मुताबिक, कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच यह विरोध मार्च विश्वविद्यालय परिसर और उसके आसपास निकाला गया।
उन्होंने बताया कि इस बीच पुलिस प्रशासन ने एएमयू परिसर की ओर जाने वाली विभिन्न सड़कों पर अवरोधक लगाए थे।
अधिकारियों ने विश्वविद्यालय परिसर के सभी प्रवेश बिंदुओं पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे।
प्रदर्शनकारी सिविल लाइंस इलाके में राजा महेंद्र प्रताप चौक पर एकत्र हुए और फिर एएमयू परिसर के प्रवेश बिंदु पर विश्वविद्यालय की परिधि तक मार्च किया।
प्रदर्शनकारियों ने एएमयू विरोधी और कुछ धार्मिक नारे भी लगाए।
अधिकारियों के मुताबिक, मार्च निकालने के बाद कुछ प्रदर्शनकारियों ने अवरोधकों से आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उनके इस प्रयास को विफल कर दिया।
प्रदर्शनकारियों ने इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित करते हुए अपर नगर मजिस्ट्रेट संजय कुमार मिश्रा को ज्ञापन सौंपा।
मिश्रा ने जिलाधिकारी की ओर से ज्ञापन प्राप्त किया।
मिश्रा ने बाद में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया कि विरोध मार्च शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ।
उन्होंने बताया कि ज्ञापन में विश्वविद्यालय में हिंदू दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को तब तक आरक्षण देने की मांग की गई जब तक कि उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे पर अंतिम फैसला न सुना दे।
एएमयू के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए सभी एहतियाती कदम उठाए हैं कि विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार पर कोई अप्रिय घटना न हो।
उन्होंने बताया कि एएमयू विरोधी नारों के अलावा प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय के पास भड़काऊ नारे भी लगाए।
पदाधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने घोषणा की थी कि आज (मंगलवार) का विरोध प्रदर्शन तो बस शुरुआत है और उनका संगठन तब तक अपनी मांग पर अड़ा रहेगा, जब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जातीं।
एएमयू प्रवक्ता और जनसंपर्क प्रभारी सदस्य प्रोफेसर मोहम्मद असीम सिद्दीकी ने बाद में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, “किसी भी समुदाय को आरक्षण देने का मुद्दा अब पूरी तरह से भारत के उच्चतम न्यायालय के पास है, जो देश के संविधान और विश्वविद्यालय की कानूनी स्थिति के आलोक में पूरे मामले की जांच कर रहा है।”
उन्होंने कहा, “हालांकि एएमयू में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर पूरी तरह से गलत धारणा फैलाई गई है। वर्तमान में, किसी भी पाठ्यक्रम में मुसलमानों के लिए कोई आरक्षण नहीं है और एकमात्र आरक्षण जो मौजूद है वह आंतरिक छात्रों के लिए है, जिसमें सभी समुदायों के सदस्य शामिल हैं।”
सिद्दीकी ने बताया कि जब तक उच्चतम न्यायालय इस मामले पर फैसला नहीं करता तब तक धर्म या जाति आधारित आरक्षण देने का सवाल ही नहीं उठता।
उन्होंने बताया कि एक बार जब शीर्ष अदालत अपना अंतिम फैसला सुना देगा तभी विश्वविद्यालय किसी भी तरह का आरक्षण लागू करने की स्थिति में होगा।
पदाधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय ने प्रशासन की मदद से सभी सावधानियां बरती हैं ताकि परिसर की शांति भंग न हो।
भाषा सं आनन्द