एनजीटी ने हिमालय की हिमनद झीलों की संख्या में तेजी से वृद्धि पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया
जितेंद्र अविनाश
- 26 Nov 2024, 03:38 PM
- Updated: 03:38 PM
नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हिमालयी हिमनद झीलों के तेजी से विस्तार से संबंधित मामले में केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया और झीलों की संख्या बढ़ने से प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते जोखिम को लेकर चिंता जताई।
एनजीटी ने एक खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए यह नोटिस जारी किया।
खबर के मुताबिक, बढ़ते तापमान के कारण पिछले 13 वर्षों में हिमनद झीलों की संख्या में लगभग 10.81 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
खबर में बताया गया कि तापमान में वृद्धि के कारण ग्लेशियर के पिघलने से बड़ी हिमनद झीलों का मार्ग प्रशस्त हुआ और इन झीलों में पानी बढ़ने से बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने 19 नवंबर को पारित एक आदेश में कहा, “खबर में यह भी उल्लेख किया गया था कि भारत में हिमनद झीलों का सतही क्षेत्रफल 2011 से 2024 तक 33.7 प्रतिशत बढ़ गया।”
अधिकरण ने कहा कि खबर में इन झीलों की अचानक वृद्धि को रेखांकित किया गया। हिमनद झीलों के फटने से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है जो निचले इलाकों में रहने वाले लोगों, बुनियादी ढांचे और जैव विविधता के लिए विनाशकारी हो सकता है।
पीठ ने कहा, “खबर में भारत में 67 झीलों की पहचान की गई, जिनके सतही क्षेत्र में 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई। इस वजह से इन्हें संभावित उच्च जोखिम वाली श्रेणी में रखा गया। सबसे उल्लेखनीय विस्तार लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में देखा गया है।”
पीठ ने कहा, “यह मामला जैव विविधता अधिनियम, जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन का संकेत देता है।”
अधिकरण ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव, जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के निदेशक तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किया।
एनजीटी ने प्रतिवादियों को 10 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
भाषा जितेंद्र