दिल्ली के स्कूल नियमित कक्षाएं फिर से शुरू करने की तैयारी में जुटे
शफीक रंजन
- 25 Nov 2024, 10:06 PM
- Updated: 10:06 PM
नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों ने नियमित कक्षाएं फिर से शुरू होने की स्थिति में छात्रों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए तैयारी शुरू कर दी है।
वहीं अभिभावक दोहरी दुविधा में हैं क्योंकि बच्चों को स्कूल भेजने से प्रदूषण के संपर्क में आने का खतरा है जबकि उन्हें घर पर रखने से आवश्यक गतिविधियों से वंचित होने की संभावना है।
स्कूलों ने वायु प्रदूषण से जुड़े किसी भी स्वास्थ्य जोखिम से बचने के लिए छात्रों को मास्क पहनने और बाहरी गतिविधियों को कम करने जैसे अन्य उपायों का सुझाव दिया है। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सुझाव दिया कि स्कूलों में नियमित कक्षाएं फिर से शुरू करने पर विचार किया जा सकता है।
दिल्ली की बेहद खराब वायु गुणवत्ता को देखते हुए स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित कर रहे हैं। सोमवार को सुबह नौ बजे, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 281 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में है।
द्वारका में आईटीएल पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य सुधा आचार्य ने कहा कि उनके स्कूल ने नियमित कक्षाएं शुरू होने की सूरत में स्वास्थ्य जोखिम को कम करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किया है।
आचार्य ने कहा, ‘‘हम छात्रों को स्कूल परिसर के अंदर और बाहर मास्क पहनने और जब भी संभव हो ‘कारपूल’ करने का आग्रह करते हुए दिशा-निर्देश जारी करेंगे। इसके अलावा, हमने नवंबर से फरवरी तक वार्षिक दिवस और खेल दिवस सहित सभी प्रमुख कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया है।’’
इंद्रप्रस्थ स्कूल के प्रधानाचार्य राजेश हसीजा ने उन गतिविधियों पर रोक लगाने पर जोर दिया, जिनसे सांस लेने में समस्या बढ़ सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘छात्रों के लिए मास्क अनिवार्य है और हमने सभी बाहरी गतिविधियों को कम करने का फैसला किया है। सुबह की सभाएं अब कक्षाओं के अंदर होंगी और योग या व्यायाम सत्र रोक दिए गए हैं क्योंकि इससे प्रदूषक तत्वों के सांस के जरिये शरीर में जाने की संभावना बढ़ जाती है।’’
हालांकि, दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कई अभिभावकों की दुविधा को उजागर किया। गौतम ने कहा, ‘‘यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें जीतना नामुमकिन है। अगर हम अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं, तो प्रदूषण के कारण जोखिम है और अगर हम उन्हें घर पर रखते हैं, तो वे जरूरी गतिविधियों से चूक जाते हैं।’’
भाषा शफीक