न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में विद्यालयों, कॉलेजों में नियमित कक्षाएं शुरू करने पर विचार करने को कहा
जितेंद्र दिलीप
- 25 Nov 2024, 07:01 PM
- Updated: 07:01 PM
नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से विद्यालयों व कॉलेजों में नियमित कक्षाओं को फिर से शुरू करने पर विचार करने को कहा।
न्यायालय ने कहा कि भौतिक कक्षाएं नहीं होने से कई विद्यार्थी मध्याह्न भोजन से वंचित हो रहे हैं और उनके पास ऑलाइन कक्षा में शामिल होने के लिये जरूरी साधनों का अभाव है।
हाल ही में गंभीर वायु प्रदूषण के कारण विद्यालयों और कॉलेजों की नियमित कक्षाओं पर रोक लगा दी गई थी।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सीएक्यूएम को दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया, जिन्होंने चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के सख्त कार्यान्वयन में ‘गंभीर चूक’ की।
पीठ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि अधिकारियों ने जीआरएपी के चौथे चरण के खंड एक, दो और तीन के तहत उपायों को लागू करने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। पुलिस की कुछ टीमों को कुछ प्रवेश बिंदुओं पर तैनात किया गया था, वह भी बिना किसी विशेष निर्देश के। (अदालत) आयुक्तों ने पाया कि पुलिस को केवल 23 नवंबर को तैनात किया गया था और इस प्रकार अधिकारियों की ओर से गंभीर चूक हुई। इसलिए, हम आयोग को सीएक्यूएम अधिनियम 2021 की धारा 14 के तहत तुरंत कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देते हैं।’’
पीठ ने कहा कि बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के पास घर पर ‘एयर प्यूरीफायर’ नहीं हैं और इसलिए घर पर रहने वाले व स्कूल जाने वाले बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं है।
पीठ के मुताबिक, “सीएक्यूएम द्वारा आज या अधिक से अधिक कल सुबह तक निर्णय लिए जाने की उम्मीद है, ताकि इसे बुधवार से लागू किया जा सके।”
शीर्ष अदालत ने हालांकि दिल्ली-एनसीआर में जीआरएपी के चौथे चरण के प्रतिबंधों में ढील देने से इनकार कर दिया और कहा कि जब तक वह इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाता कि एक्यूआई के स्तर में लगातार कमी आ रही है, तब तक वह प्रतिबंधों को जीआरएपी के तीसरे या दूसरे चरण तक कम करने का आदेश नहीं दे सकता।
पीठ ने जीआरएपी के चौथे चरण से समाज के कई वर्गों, विशेष रूप से मजदूरों और दिहाड़ी मजदूर के प्रभावित होने का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि जहां निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, वे श्रम उपकर के रूप में एकत्रित धन का उपयोग उन्हें जीविका प्रदान करने के लिए करें।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रवेश बिंदुओं पर निरीक्षण करने के लिए न्यायालय आयुक्त के रूप में नियुक्त शीर्ष अदालत के 13 वकील इलाकों का दौरा करना जारी रखेंगे और न्यायालय को रिपोर्ट सौंपेंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी द्वारा अभिभावकों के एक समूह की ओर से पेश होने के बाद यह आदेश पारित किया गया।
गुरुस्वामी ने अदालत में दलील दी थी कि लाखों छात्र मध्याह्न भोजन पर निर्भर हैं, लेकिन स्कूल बंद होने के कारण उन्हें भोजन से वंचित होना पड़ रहा है। उन्होंने दलील दी कि कई विद्यार्थियों के पास घर में ‘एयर प्यूरीफायर’ नहीं हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने उपायों में ढील का विरोध किया और कहा कि घरों के अंदर हवा की गुणवत्ता बाहर की तुलना में बेहतर है। शीर्ष अदालत ने शुरू में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुई अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि क्या पुलिस को चौकियों पर स्थायी रूप से तैनात करने का कोई लिखित आदेश है।
भाटी ने अदालत को बताया कि पुलिस कर्मियों को 23 प्रमुख चौकियों पर तैनात किया गया है।
भाटी ने अदालत में एक चार्ट प्रस्तुत किया, जिसमें 20 से 24 नवंबर तक दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 318 से 419 के बीच दिखाया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता और न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने कहा कि अदालत के हस्तक्षेप के बाद कई चौकियों पर पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था, हालांकि निर्देशों पर कोई स्पष्टता नहीं थी। इस मामले की सुनवाई 28 नवंबर को होगी।
भाषा जितेंद्र