केरल में बाल यौन शोषण के मामलों में वृद्धि देखी गई: बाल अधिकार समिति की रिपोर्ट
खारी प्रशांत
- 25 Nov 2024, 04:07 PM
- Updated: 04:07 PM
कोच्चि, 24 नवंबर (भाषा) केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट दिखाती है कि राज्य में बच्चे स्कूल और घरों में भी सुरक्षित नहीं है क्योंकि केरल में बच्चों के यौन शोषण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार ऐसे 21 प्रतिशत मामलों में बच्चे घरों और चार प्रतिशत मामलों में स्कूल में यौन शोषणा का शिकार हुए।
इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य उजागर होने के बाद राज्य की बाल अधिकार समिति को माता-पिता, शिक्षकों और पुलिस अधिकारियों के बीच बाल शोषण को लेकर जागरुकता बढ़ाने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज 4,663 मामलों के विश्लेषण में पाया गया कि इनमें से 988 (21 प्रतिशत) घटनाएं बाल गृहों में, 725 (15 प्रतिशत) आरोपियों के घरों में और 935 (20 प्रतिशत) सार्वजनिक स्थानों पर हुईं।’’
रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया कि 173 मामलों में अपराध स्कूलों में, 139 वाहनों में, 146 विभिन्न अन्य स्थानों पर और 166 सुनसान जगह क्षेत्रों में हुआ।
इसके अतिरिक्त, 60 मामले में बच्चे होटल, 72 मामले में दोस्त के घरों, 73 मामलों में धार्मिक संस्थानों, 16 मामलों में अस्पतालों और आठ प्रतिशत बाल देखभाल संस्थानों में यौन शोषण के अपराध का शिकार हुए।
रिपोर्ट में कहा गया कि हालांकि, 791 (17 प्रतिशत) मामलों में अपराध के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है।
केरल में 2023 में कुल पॉक्सो के तहत 4663 मामले दर्ज किए गए।
रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, तिरुवनंतपुरम जिले में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए, जबकि पथनमथिट्टा जिले में सबसे कम मामले दर्ज किए गए।
पॉक्सो में दर्ज किए गए 4,663 मामलों में पीड़ित बच्चों की संख्या 4,701 थी जो दिखाता है कि कई मामलों में एक से अधिक पीड़ित थे।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘यह आंकड़ा दिखाता है कि बच्चों को पॉक्सो और बच्चों के अनुकूल प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक करने और उन्हें आत्मरक्षा संबंधी प्रशिक्षण प्रदान करने की जरूरत।’’
पिछले वर्षों से इन आंकड़ों की तुलना करें तो पता चलेगा कि इस तरह के मामलों में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार 2021 में 3,322 मामले और 2022 में 4,583 मामले दर्ज किए गए, जबकि उससे भी पहले 2019 में यह आंकड़ा 3,616 और 2020 में 3030 था।
भाषा
खारी