लड्डू बनाने और कढ़ाई सीखने वाले बधिर छात्रों की बदली जिंदगी, उच्च शिक्षा हासिल करके कर रहे नौकरी
अरुणव आनन्द शोभना नेत्रपाल जोहेब
- 24 Nov 2024, 04:53 PM
- Updated: 04:53 PM
(अरुणव सिन्हा)
लखनऊ/गोरखपुर (उप्र), 24 नवंबर (भाषा) आमिर लूलिया और अनिकेत भानुशाली, दोनों ही जन्म से सुनने में असमर्थ हैं, जिन्हें 10वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें लड्डू बनाने या कढ़ाई जैसे सामान्य काम करने थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
एक गैर सरकारी संगठन के सह-संस्थापकों के साथ उनकी माताओं की आकस्मिक बातचीत से उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने और नौकरी की तलाश में मदद मिली।
सुनने में असमर्थ या कम सुनने वाले छात्रों के लिए काम करने वाले एनजीओ ट्रेनिंग एंड एजुकेशन सेंटर फॉर हियरिंग इम्पेयर्ड (टीच) की मदद से दोनों ने बी.कॉम की पढ़ाई की। आमिर फिलहाल एनजीओ के मानव संसाधन विभाग में काम कर रहे हैं, जबकि अनिकेत ठाणे में एक कंपनी के लेखा विभाग में कार्यरत हैं।
दीपेश नायर और अमन शर्मा द्वारा मुंबई में स्थापित टीच 2016 से बधिर और कम सुनने वाले छात्रों के लिए उच्च शिक्षा व रोजगार के अवसरों के बीच दूरी को पाटने के लिए काम कर रहा है।
नायर ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर दिए साक्षात्कार में बताया कि ऐेसे छात्रों के लिए भारत में केवल एक प्रतिशत से भी कम विश्वविद्यालय और कॉलेज हैं और इससे पता चलता है कि इस तरह के बच्चे अच्छी पढ़ाई से किस कदर वंचित हैं।
उन्होंने कहा कि टीच का उद्देश्य ऐसे विद्यार्थियों के लिए 10वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद इस अंतर को पाटना है।
आमिर की मां हसीना लूलिया और अनिकेत की मां मंजुला भानुशाली ने याद किया कि एक समय उनके बच्चों का भविष्य कितना अंधकारमय लग रहा था।
हसीना लूलिया का बड़ा बेटा भी सुनने में असमर्थ है, जिसने दिव्यांगता के कारण पर्याप्त अवसर नहीं मिलने के चलते 10वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी।
हसीना लूलिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि लेकिन आमिर भाग्यशाली था कि उसे टीच का समर्थन मिला, जिसने उसके लिए कड़ी मेहनत की और जीवन में कुछ महत्वपूर्ण हासिल करने में मदद की।
बधिर और कम सुनने वाले छात्रों को उच्च शिक्षा दिलाने के प्रयासों के लिए नायर का नाम प्रोफेसर यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार 2024 के लिए चुना गया।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) द्वारा 1991 में शुरू किए गए इस पुरस्कार से शिक्षा, समाज, पर्यावरण और विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले युवाओं को सम्मानित किया जाता है।
नायर (35) ने कहा, "2016 में हमने मुंबई में टीच की शुरुआत की और फिर पुणे और दिल्ली में इसका विस्तार किया है, जहां 400 छात्रों को सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। अब तक 60 छात्र उत्तीर्ण हो चुके हैं और मानव संसाधन, वित्त, लेखा व लेखा परीक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियां कर रहे हैं।"
उन्होंने, ''यह विचार हमें 2014 में आया, जब हम मुंबई के बधिर बच्चों के एक स्कूल में स्वयं सेवा कर रहे थे। हम इन बच्चों से मिले और वहां हमें पता चला कि उन्हें अंग्रेजी, गणित, इतिहास और भूगोल जैसे विषय नहीं पढ़ाए जा रहे। और उन्हें कक्षा 10वीं पास करने के बाद लड्डू बनाना, कढ़ाई, दूध और दूध से बने उत्पादों जैसे विषयों की शिक्षा दी जाती है।"
भाषा अरुणव आनन्द शोभना नेत्रपाल