लागत और कर्ज बढ़ रहे हैं, उपज स्थिर है: कृषि संकट पर न्यायालय की समिति ने कहा
प्रशांत सुरेश
- 23 Nov 2024, 09:07 PM
- Updated: 09:07 PM
नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) किसानों की शिकायतों और प्रदर्शनों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है, जिसमें स्थिर उपज, बढ़ती लागत और कर्ज तथा अपर्याप्त विपणन प्रणाली समेत कृषि संकट के कारणों को सूचीबद्ध किया गया है।
शंभू सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह की अध्यक्षता में दो सितंबर को गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी मान्यता और प्रत्यक्ष आय सहायता देने की संभावना की जांच करने सहित विभिन्न प्रकार के समाधान भी सुझाए।
समिति का गठन करते समय उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि किसानों के विरोध का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने शुक्रवार को अंतरिम रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और समिति के प्रयासों और जांच के लिए मुद्दों को तैयार करने तथा आंदोलन को शांत करने के लिए उसकी प्रशंसा की।
अपनी 11 पन्नों की अंतरिम रिपोर्ट में समिति ने कहा, “यह सर्वविदित तथ्य है कि देश में सामान्य रूप से कृषक समुदाय, विशेषकर पंजाब और हरियाणा में, पिछले दो दशक से अधिक समय से लगातार बढ़ते संकट का सामना कर रहा है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि हरित क्रांति के प्रारंभिक उच्च लाभ के बाद 1990 के दशक के मध्य से उपज और उत्पादन वृद्धि में स्थिरता, संकट की शुरुआत का संकेत थी।
समिति ने कहा कि हाल के दशकों में किसानों और कृषि श्रमिकों पर कर्ज कई गुना बढ़ गया है।
समिति में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी बी.एस. संधू, मोहाली निवासी देविंदर शर्मा, प्रोफेसर रंजीत सिंह घुमन और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री डॉ. सुखपाल सिंह भी शामिल थे।
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