महाराष्ट्र में भाजपा नीत महायुति, झारखंड में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की जीत
आशीष धीरज
- 23 Nov 2024, 08:01 PM
- Updated: 08:01 PM
मुंबई/रांची, 23 नवंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत महायुति ने शनिवार को महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) को हराकर भारी जीत हासिल की, जबकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस) ने झारखंड में अपनी पकड़ बरकरार रखी। दोनों राज्यों में मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दलों को जोरदार समर्थन दिया।
दोनों राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए वोटों की गिनती सुबह आठ बजे शुरू होने के साथ यह संकेत मिलने लगा कि महाराष्ट्र में भाजपा के लिए जश्न का समय आ गया है। चुनाव के दौरान पार्टी ने ‘‘कटेंगे तो बटेंगे’’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे नारे पर जोर दिया था।
भाजपा ने महाराष्ट्र में 149 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 133 पर जीत या बढ़त हासिल की। अपने सहयोगियों मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना और अजित पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ मिलकर सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन राज्य की 288 सीटों में से 231 सीटें जीत सकता है, जबकि कांग्रेस-शिवसेना (उबाठा)-राकांपा (एसपी) गठबंधन केवल 47 सीटों पर सिमट कर रह गया है।
महाराष्ट्र में निर्णायक जनादेश से सकते में आए विपक्ष को झारखंड ने राहत दी जहां मतदाताओं ने झामुमो नीत गठबंधन को सत्ता सौंपी है।
निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, 81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में भाजपा 21 सीटों पर जीत चुकी है या बढ़त बनाए हुए है, जबकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) 34, कांग्रेस 16, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) चार और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) लिबरेशन एक सीट पर जीत दर्ज की है या आगे है। इस तरह कुल सीटों की संख्या 56 हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड में जीत के लिए झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन को बधाई दी और भाजपा को समर्थन देने के लिए राज्य के लोगों का आभार जताया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे पर रंग लगाया, ढोल की थाप पर नृत्य किया और जगह-जगह मिठाइयां बांटीं, वहीं मोदी ने महाराष्ट्र की जीत की जमकर तारीफ की।
मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘विकास की जीत हुई। सुशासन की जीत हुई। एकजुट होकर हम और भी प्रगति करेंगे। राजग को ऐतिहासिक जनादेश देने के लिए महाराष्ट्र के मेरे भाई-बहनों, खासकर राज्य के युवाओं और महिलाओं का हृदय से आभार। यह स्नेह अद्वितीय है।’’
महायुति के सत्ता की ओर अग्रसर होने के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, ‘‘लोगों ने नफरत और बदले की राजनीति को खारिज कर दिया है, तथा कल्याण और विकास की राजनीति को स्वीकार किया है।’’
एकनाथ शिंदे के गठबंधन सहयोगियों ने इस शानदार जीत का श्रेय ‘लाडकी बहिन’ योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं को दिया।
एकनाथ शिंदे के पुत्र और शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि जनादेश से पता चलता है कि बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों को कौन आगे ले जा रहा है। उन्होंने शिवसेना संस्थापक की खंडित विरासत की ओर इशारा करते हुए यह बात कही। बालासाहेब ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख हैं।
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र लोकसभा में 48 सांसद भेजता है और उसने संसदीय चुनाव में एमवीए को निर्णायक 30 सीट पर विजयी बनाया था लेकिन उसने इस बार रुख बदलने का फैसला किया।
भाजपा 133 सीट पर आगे या जीत चुकी है। शिवसेना 57 और राकांपा 41 सीट पर आगे है जबकि कांग्रेस सिर्फ 15, शिवसेना (उबाठा) 20 और राकांपा (एसपी) 10 सीट पर आगे है।
ये परिणाम भाजपा के लिए उत्साहवर्धक हैं, जिसने पिछले महीने हरियाणा में अभूतपूर्व तीसरी बार जीत हासिल की थी। आम चुनाव के दौरान राज्य में खराब प्रदर्शन के बाद इन परिणामों से पार्टी का उत्साह बढ़ेगा। लोकसभा चुनाव में भाजपा को 240 सीट पर जीत मिली थी।
चुनाव नतीजों की निश्चितता के बाद अब सबका ध्यान भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस पर केंद्रित हो गया है जो अपनी पार्टी की शानदार जीत के सूत्रधार माने जा रहे हैं। राजनीतिक हलकों में ऐसी खबरें जोरों पर हैं कि राज्य के दूसरे ब्राह्मण मुख्यमंत्री तीसरी बार यह पद संभालेंगे। मनोहर जोशी महाराष्ट्र के पहले ब्राह्मण मुख्यमंत्री थे।
हालांकि फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर कोई विवाद नहीं, महायुति नेता लेंगे फैसला।
उन्होंने कहा, ‘‘आज का फैसला दिखाता है कि पूरा समुदाय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पीछे एकजुट है। ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा सफल रहा है, खासकर योजना का लाभ लेने वाली लाडकी बहनों के लिए, जिन्हें हर महीने 1,500 रुपये मिलते हैं।’’
महाराष्ट्र के जनादेश ने महायुति गठबंधन के भीतर भाजपा को मजबूती दी है और यह जनादेश देवेंद्र फडणवीस के पुनः मुख्यमंत्री बनने की संभावना को खोलता है। साथ ही यह परिणाम कांग्रेस और मराठा नेता शरद पवार के लिए आत्मचिंतन का विषय है।
राज्य में कांग्रेस के दो कद्दावर नेताओं बालासाहेब थोराट और पृथ्वीराज चव्हाण चुनाव हार गए हैं जबकि नाना पटोले पीछे चल रहे हैं।
कांग्रेस के प्रदर्शन पर पार्टी प्रवक्ता लावण्या बल्लाल ने ‘डीकोडर’ से कहा, ‘‘यह हमारे लिए स्तब्धकारी और हृदय विदारक है...भाजपा अपने शानदार जमीनी कार्य और सीटों के बंटवारे के कारण आगे है।’’
महायुति गठबंधन में भाजपा ने 149 विधानसभा सीट पर, शिवसेना ने 81 सीट पर और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने 59 निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारे थे।
विपक्ष के एमवीए गठबंधन में, कांग्रेस ने 101 उम्मीदवार, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने 95 और राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने 86 उम्मीदवार खड़े किए।
झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ‘इंडिया’ गठबंधन के शानदार प्रदर्शन के लिए राज्य की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि पार्टी लोकतंत्र की परीक्षा में सफल रही है।
झारखंड में ‘इंडिया’ गठबंधन के जीत के करीब पहुंचने के बीच कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर ने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, ‘‘हमने जो काम किया है, हमें उसका पुरस्कार मिल रहा है... हम जिस तरह जनता से जुड़े रहे, हमें उसका भी पुरस्कार मिल रहा है।’’
भाजपा का चुनावी मुद्दा संथाल परगना क्षेत्र से ‘‘घुसपैठियों’’ को बाहर निकालना था, लेकिन यह झामुमो द्वारा खेले गए ‘आदिवासी’ कार्ड के सामने फीका पड़ गया। सोरेन की गिरफ्तारी से भी लोगों की उनकी पार्टी के प्रति सहानुभूति बनी।
विश्लेषकों का कहना है कि दूसरे दलों से आए नेताओं को उम्मीदवार बनाने को लेकर भाजपा के भीतर मची कलह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के सह-प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने कहा कि जनादेश को स्वीकार किया जाना चाहिए क्योंकि यही लोकतंत्र का असली सार है।
शर्मा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘झारखंड में पार्टी की हार मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत दुखद है, भले ही हमने असम में उपचुनावों में सभी पांच सीट जीत ली हो। मैंने झारखंड में अपने कार्यकर्ताओं के अटूट समर्पण और अथक प्रयासों को देखा है, जिन्होंने इस चुनाव में अपना सब कुछ झोंक दिया था।’’
शर्मा ने कहा कि भाजपा ने राज्य को ‘घुसपैठ’ से बचाने और छात्रों और युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करते हुए इसे विकास के पथ पर ले जाने की दृष्टि से चुनाव लड़ा।
भाषा आशीष