न्यायालय ने ट्रकों के प्रवेश पर ग्रैप-4 प्रतिबंध लगाने में दिल्ली सरकार की नाकामी पर नाराजगी जताई
सुभाष संतोष
- 22 Nov 2024, 10:28 PM
- Updated: 10:28 PM
नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में ट्रकों के प्रवेश से संबंधित प्रदूषण रोधी ‘ग्रैप-4’ प्रतिबंधों को लागू करने में दिल्ली सरकार की विफलता पर शुक्रवार को नाराजगी जताई और 113 प्रवेश स्थलों पर तत्काल जांच चौकियां स्थापित करने का निर्देश दिया।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में मामूली गिरावट और कड़े प्रतिबंधों के प्रतिकूल प्रभावों को ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति अभय एस ओका एवं न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि वह 25 नवंबर को इस बात पर विचार करेगी कि दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना के चौथे चरण (ग्रैप-4) के तहत लागू प्रतिबंधों में ढील दी जाए, या नहीं।
शुक्रवार को दिल्ली में समग्र एक्यूआई 373 दर्ज किया गया जो ‘‘बहुत खराब’’ श्रेणी में आता है।
इससे पहले, न्यायालय ने प्रदूषण में चिंताजनक वृद्धि रोकने के लिए कड़े कदम उठाने में विलंब पर नाराजगी जाहिर करते हुए 18 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर राज्यों को ग्रैप-4 के तहत प्रतिबंध लागू करने के लिए तुरंत टीम गठित करने का निर्देश दिया था और कहा था कि अगला आदेश दिए जाने तक ये प्रतिबंध लागू रहेंगे।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, पीठ ने उस वक्त आश्चर्य व्यक्त किया, जब वकीलों ने बताया कि दिल्ली में 113 प्रवेश स्थल हैं और केवल 13 ऐसे स्थलों पर ‘ग्रैप-4’ प्रतिबंधों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।
अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया, जब दिल्ली सरकार के वकील इस मुद्दे पर पीठ को सहमत कर पाने में विफल रहे कि क्या प्रवेश स्थलों पर सुरक्षा कर्मियों के पास आवश्यक वस्तुओं की सूची है जिन्हें राष्ट्रीय राजधानी के अंदर ट्रकों द्वारा ले जाने की अनुमति दी जा सकती है।
पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘इसका मतलब यह है कि अन्य 100 प्रवेश स्थलों पर उन वाहनों पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जो ग्रैप-4 के तहत प्रतिबंधित हैं।’’
न्यायालय ने कहा, ‘‘प्रवेश स्थलों पर तैनात किये जाने वाले (सुरक्षा) कर्मियों को उन अनुमति प्राप्त वस्तुओं के बारे में स्पष्ट रूप से सूचित किया जाना चाहिए, जिन्हें दिल्ली सरकार के वकील ने आवश्यक वस्तुओं के रूप में रेखांकित किया है।’’
पीठ ने दिल्ली सरकार और शहर की पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सभी 113 प्रवेश स्थलों पर तुरंत जांच चौकियां स्थापित की जाए।
न्यायालय ने 13 वकीलों को ‘कोर्ट कमिश्नर’ नियुक्त किया जो दिल्ली के विभिन्न प्रवेश स्थलों का 23 नवंबर को दौरा करेंगे और यह पता लगाएंगे कि ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लागू किया गया है या नहीं। पीठ ने कहा कि इस निरीक्षण में दिल्ली पुलिस सहायता करेगी।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारे लिए यह मानना बहुत मुश्किल है कि दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश रोक दिया गया है।’’ उन्होंने कहा कि जहां तक ट्रकों के प्रवेश का सवाल है, इस संबंध में कोई क्रियान्वयन नहीं किया गया है।
न्यायालय को बताया गया कि सीसीटीवी कैमरे केवल 13 प्रवेश स्थलों पर ही लगाए गए हैं। पीठ ने निर्देश दिया कि सीसीटीवी फुटेज जल्द से जल्द वरिष्ठ अधिवक्ता और न्यायमित्र अपराजिता सिंह को दी जाए।
पीठ ने कहा, ‘‘113 में से लगभग 100 प्रवेश स्थलों पर ट्रकों के प्रवेश की जांच करने वाला कोई नहीं है। हमने बार के सदस्यों से कहा कि वे जाकर उन स्थलों का निरीक्षण करें।’’
पहली बार 2017 में चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रैप) लागू की गई थी। यह वायु प्रदूषण की स्थिति की गंभीरता के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्र में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए किये जाने वाले उपायों का एक समूह है।
ग्रैप के तहत दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता को चार अलग-अलग चरणों में वर्गीकृत किया गया है: पहला चरण - ‘खराब’ (एक्यूआई 201-300), दूसरा चरण - ‘बहुत खराब’ (एक्यूआई 301-400), तीसरा चरण - ‘गंभीर’ (एक्यूआई 401-450) और चौथा चरण- ‘अत्यंत गंभीर’ (एक्यूआई 450 से ऊपर)।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि ग्रैप-4 के तहत लागू प्रतिबंधों का भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
पीठ ने कहा, ‘‘ग्रैप-4 के परिणाम बहुत गंभीर हैं और इसका समाज के कई वर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’’
न्यायालय दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण से संबंधित मामले पर सुनवाई कर रहा है।
भाषा सुभाष