जम्मू-कश्मीर में विकृत नोट : न्यायालय ने केंद्र को जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया
रवि कांत नरेश सुरेश
- 22 Nov 2024, 04:19 PM
- Updated: 04:19 PM
नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को उस जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करने का शुक्रवार को अंतिम अवसर दिया, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 30 करोड़ रुपये मूल्य के विकृत नोट बदले जाने की सीबीआई जांच की मांग की गई है।
तीस करोड़ रुपये के ये विकृत नोट कथित तौर पर कश्मीर के एक अलगाववादी संगठन के हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने यद्यपि इस बात का संज्ञान लिया कि इस मामले में केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय दिया जा चुका है, फिर भी 'न्याय के हित में' चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दे दिया।
शीर्ष अदालत सतीश भारद्वाज की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 2013 में आरबीआई की जम्मू शाखा ने कथित तौर पर एक अलगाववादी संगठन से संबंधित 30 करोड़ रुपये के नोट बदले थे। इस अलगाववादी संगठन का नाम 'कश्मीर ग्राफिटी' है।
सतीश भारद्वाज ने अपनी याचिका में कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में शांति और सद्भाव को अस्थिर करने तथा क्षेत्र के आम लोगों के मन में तनाव और आतंक का माहौल पैदा करने के उद्देश्य से कश्मीर के एक अलगाववादी समूह के 30 करोड़ रुपये मूल्य के त्रुटिपूर्ण भारतीय नोटों को भारतीय रिजर्व बैंक की जम्मू शाखा द्वारा बदलने का कार्य गैर-कानूनी है और इस न्यायालय के हस्तक्षेप के विचार योग्य है।’’
उन्होंने कहा कि कश्मीर में एक अलगाववादी समूह ने फेसबुक पर अपने बयान में दावा किया है कि उसने मई और अगस्त 2013 के बीच 30 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय मुद्रा पर अलगाववादी नारे अंकित किए हैं।
इसलिए भारद्वाज ने मामले की जांच अदालत की निगरानी में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराये जाने की मांग की है। उन्होंने दलील दी कि मुद्रा नोटों का विनिमय केवल कानून के अनुसार ही किया जा सकता है और आरबीआई के नियमों एवं विनियमों के अनुसार जानबूझकर मुहर लगाई गयी मुद्रा का विनिमय नहीं किया जा सकता है।
भाषा रवि कांत नरेश