चेरियन की ओर से संविधान के संबंध में इस्तेमाल किए गए शब्द सम्मान के शब्द नहीं: केरल उच्च न्यायालय
नेत्रपाल सुरेश
- 21 Nov 2024, 09:23 PM
- Updated: 09:23 PM
कोच्चि, 21 नवंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने राज्य के मत्स्य पालन मंत्री साजी चेरियन को झटका देते हुए जुलाई 2022 में एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान संविधान का ‘‘अपमान’’ करने के आरोपों के मामले में बृहस्पतिवार को उनके खिलाफ जांच जारी रखने का आदेश दिया। न्यायालय ने कहा कि संविधान के संबंध में उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द ‘‘आम तौर पर सम्मान के शब्द नहीं हो सकते।’’
उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) और भाजपा ने चेरियन के इस्तीफे या उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किए जाने की मांग की।
इस बीच, चेरियन ने कहा कि आदेश का अध्ययन करने के बाद आगे के कदम पर फैसला किया जाएगा।
न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि यह मलयालम भाषा में आम धारणा का विषय है कि शब्द ‘कुंथम’ और ‘कुदाचक्रम’ जब एक-दूसरे के साथ मिलाकर बोले जाते हैं तो यह नहीं कहा जा सकता कि उनका उपयोग सम्मान के रूप में किया गया होगा।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि चेरियन ने अपने भाषण में इन शब्दों का इस्तेमाल किया था और यह भी कहा था कि ‘‘संविधान लोगों को लूटने के लिए आदर्श है’’।
इसने कहा, ‘‘इस प्रकार, मंत्री द्वारा अपने भाषण में इस्तेमाल किए गए शब्द, जैसे ‘लोगों को लूटने के लिए आदर्श संविधान’ या धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, ‘कुंथम’ (भाला), ‘कुदाचक्रम’ (एक प्रकार का पटाखा) शब्द आमतौर पर सम्मान के शब्द नहीं हो सकते।’’
अदालत ने कहा कि सवाल यह है कि क्या जिस संदर्भ में उन शब्दों का इस्तेमाल किया गया, वह संविधान का अनादर दर्शाता है।
इसने कहा, ‘‘यह कथन कि भारतीय संविधान लोगों को लूटने के लिए आदर्श है, चर्चा के लिए ज्यादा जगह नहीं छोड़ता। उस बयान पर दो राय भी नहीं हो सकतीं।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि अभिव्यक्ति- धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, ‘कुंथम’, ‘कुदाचक्रम’ शब्दों में स्पष्ट रूप से प्रस्तावना का जिक्र था, जो संविधान का एक हिस्सा है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि जांच अधिकारी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा कि शब्दों के पीछे संविधान का अनादर करने का कोई इरादा नहीं था।
इसने कहा, ‘‘उक्त निष्कर्ष और जिस तरीके से इस तरह का निष्कर्ष निकाला गया, उसे समझना मुश्किल है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘जब वैधानिक इरादा स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति संविधान का अनादर नहीं करेगा, और जब शब्द स्वयं इरादे को प्रकट कर सकते हैं, तो जांच अधिकारी (आईओ) का निष्कर्ष कानूनी रूप से मान्य नहीं है।’’
इसने कहा कि फॉरेंसिक प्रयोगशाला की रिपोर्ट और भाषण की वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग यह निष्कर्ष निकालने के लिए प्रासंगिक थी कि शब्दों का इस्तेमाल अपमानजनक तरीके से किया गया या नहीं।
उच्च न्यायालय ने कहा कि फॉरेंसिक प्रयोगशाला की रिपोर्ट मिलने से पहले ही आईओ के लिए यह निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है कि कोई अपराध नहीं बनता।
इसने कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत ने भी यह देखे बिना अंतिम रिपोर्ट स्वीकार करने में गलती की कि मीडियाकर्मियों जैसे कई गवाह थे जिन्होंने भाषण देखा-सुना या प्रकाशित किया था।
अदालत ने कहा, ‘‘उन व्यक्तियों से पूछताछ नहीं की गई और न ही उनके बयान लिये गए। इसके अलावा, जांच अधिकारी केवल एक राजनीतिक दल द्वारा आयोजित बैठक में भाग लेने वाले व्यक्तियों द्वारा दिए गए बयानों के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचा।’’
इसने कहा, ‘‘बैठक में शामिल हुए गवाहों के बयान राजनीतिक दल से जुड़े होने के कारण पूर्वाग्रह से ग्रसित हो सकते हैं। इसलिए, केवल उन बयानों पर भरोसा करने से निष्पक्ष जांच नहीं होगी।’’
अदालत ने कहा कि आईओ द्वारा निष्कर्ष जल्दबाजी में निकाला गया और की गई जांच उचित नहीं थी तथा मजिस्ट्रेट अदालत ने अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार करने में गलती की।
मजिस्ट्रेट अदालत और पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को चुनौती देने वाले एक वकील की याचिका को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘संपूर्ण परिस्थितियों पर विचार करने पर, इस अदालत का विचार है कि अंतिम रिपोर्ट को अलग रखा जाना चाहिए और आगे की जांच की जानी चाहिए।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि चूंकि आरोपी एक मंत्री है, इसलिए थाना प्रभारी द्वारा की जाने वाली जांच पर्याप्त नहीं होगी तथा इसके लिए एक बेहतर एजेंसी की आवश्यकता है।
इसने कहा, ‘‘इसलिए आगे की जांच राज्य अपराध शाखा द्वारा की जानी चाहिए। राज्य पुलिस प्रमुख तुरंत उचित आदेश पारित कर आगे की जांच राज्य अपराध शाखा को सौंपेंगे और जांच का नेतृत्व किसी ईमानदार अधिकारी को देंगे। यह बताने की जरूरत नहीं है कि जांच बिना किसी देरी के पूरी की जाएगी।’’
इस बीच, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए या नहीं यह ‘‘किसी के अपने विवेक पर निर्भर करता है’’।
खान ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें सरकार और मंत्री के विचारों की जानकारी नहीं है।
चेरियन के भाषण ने राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था और विपक्ष ने उनसे इस्तीफा देने या उन्हें बर्खास्त किए जाने की मांग की थी। इसके परिणामस्वरूप अंततः छह जुलाई, 2022 को उन्हें कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था।
बाद में, उन्हें मंत्रिमंडल में बहाल कर दिया गया था।
भाषा
नेत्रपाल