उम्मीद है, नौकरी के लिए कंपनी को भुगतान का चलन नहीं बनेगा : जोमैटो सीईओ
अजय
- 21 Nov 2024, 08:26 PM
- Updated: 08:26 PM
(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) ऑनलाइन ऑर्डर पर खान-पान के उत्पाद पहुंचाने वाले मंच जोमैटो के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) दीपिंदर गोयल ने उम्मीद जताई है कि नौकरी पाने के लिए कंपनी को भुगतान करना चलन नहीं बनेगा।
गोयल ने इससे पहले बुधवार को ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ (कार्मिक प्रमुख) पद के लिए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर आवेदन मांगे थे। इसमें उन्होंने आवेदकों से पहले साल के लिए 20 लाख रुपये मांगे थे।
हालांकि, बृहस्पतिवार को उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि लोगों से 20 लाख रुपये वसूलना कभी भी योजना का हिस्सा नहीं था। उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘नौकरी पाने के लिए कंपनी को भुगतान करना इस दुनिया में चलन नहीं बनेगा।’
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट में गोयल ने कहा कि इस पद के लिए 18,000 से अधिक लोगों ने आवेदन किया है। ...साथ ही उन्होंने आवेदन बंद करने की घोषणा भी की।
गोयल ने लिखा, “यह सिर्फ एक और नियुक्ति वाली पोस्ट नहीं थी। जैसा कि कुछ लोगों ने बताया, ‘आपको हमें 20 लाख रुपये देने होंगे।’ यह सिर्फ एक फिल्टर था, ताकि ऐसे लोगों को खोजा जा सके जो अपने सामने मौजूद बाधाओं से घिरे बिना, एक तेज रफ्तार करियर के अवसर की सराहना करने की शक्ति रखते हों।”
उन्होंने कहा, “हम उन अधिकांश आवेदनों को अस्वीकार कर देंगे, जिनके पास पैसा है, या जिन्होंने पैसे के बारे में बात भी की है। हमें प्राप्त हुए आवेदनों की विशाल मात्रा से हम वास्तविक इरादे और सीखने की मानसिकता का पता चलेगा।”
गोयल ने कहा कि लोगों से 20 लाख रुपये वसूलना ‘कभी भी योजना का हिस्सा नहीं था’। उन्होंने अपने और ‘एक्स’ पर एक उपयोगकर्ता के बीच हुई निजी बातचीत का स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसने इस विचार का बचाव किया था।
बातचीत में गोयल ने कहा, “हम अंततः 20 लाख रुपये नहीं मांगेंगे, तथा उचित व्यक्ति को ही भुगतान करेंगे।”
असामान्य भर्ती पोस्ट का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, “ऐसा कुछ दुनिया में सिर्फ एक बार ही किया जा सकता है। अब जब सभी को इसके पीछे की असली मंशा पता चल गई है, तो अगर हम इसे दोबारा करेंगे तो वांछित परिणाम नहीं पा सकेंगे।”
अपनी पोस्ट में गोयल ने कहा, “...और मैं वाकई उम्मीद करता हूं कि ‘नौकरी पाने के लिए कंपनी को पैसे देना’ इस दुनिया में चलन न बन जाए। यह अच्छा नहीं है।”
भाषा अनुराग अजय
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