गौतम अदाणी पर भारतीय अधिकारियों को 2,200 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप
रमण अजय
- 21 Nov 2024, 08:58 PM
- Updated: 08:58 PM
न्यूयॉर्क/नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) उद्योगपति गौतम अदाणी पर अमेरिकी अभियोजकों ने भारत में सौर बिजली अनुबंध हासिल करने के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने में कथित तौर पर शामिल होने का आरोप लगाया है।
अमेरिकी न्याय विभाग ने भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति अदाणी तथा उनके भतीजे सागर अदाणी सहित सात अन्य पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, इसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है। इन परियोजनाओं से समूह को 20 साल से अधिक समय में दो अरब डॉलर से अधिक लाभ होने का अनुमान है।
अभियोजकों ने कहा कि अमेरिका ने 2022 में एक जांच शुरू की। उन्होंने आरोप लगाया कि समूह ने कंपनी की रिश्वत विरोधी गतिविधियों और नीतियों के बारे में गलत और भ्रामक जानकारी देकर अमेरिकी कंपनियों सहित अन्य से कर्ज और बॉण्ड के जरिये दो अरब डॉलर जुटाए। साथ ही समूह ने रिश्वत को लेकर जांच के बारे में सही जानकारी नहीं दी।
अमेरिकी कानून अपने निवेशकों या बाजारों से जुड़े मामलों में विदेशों में भ्रष्टाचार के आरोपों को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है।
इस बीच, अदाणी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया और उन्हें निराधार बताया है।
हालांकि, इस मामले का व्यापक प्रभाव हो सकता है। इसमें समूह की साख को जोखिम, अमेरिकी बाजार से राशि जुटाने में समस्या और समूह प्रमुख को अपनी विदेश यात्रा को सीमित करने के लिए मजबूर होना शामिल है। साथ ही सोमवार से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र से पहले ही विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का एक और हथियार मिल गया है।
आरोपों के अनुसार, अदाणी समूह की हरित ऊर्जा इकाई अदाणी ग्रीन एनर्जी ने सार्वजनिक क्षेत्र की सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) द्वारा आमंत्रित बोलियों में 2021 में 8,000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति के लिए बोली जीती थी। इस निविदा में नयी दिल्ली की एज्योर पावर ने चार गीगावाट की आपूर्ति के लिए बोली जीती थी। एज्योर पावर के साथ-साथ कनाडा के सार्वजनिक पेंशन कोष सीडीपीक्यू के अधिकारियों का भी मामले में नाम है।
अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय के अनुसार, सेकी, अदाणी और एज्योर के साथ अनुबंधित कीमतों पर बिजली के लिए खरीदार तलाशने में असफल रही। अदाणी ने 2021 और 2022 में सरकारी अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की और उन्हें सेकी के साथ बिजली बिक्री समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए रिश्वत की पेशकश की।
रिश्वत के वादे के बाद, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में बिजली वितरण कंपनियों ने सेकी के साथ समझौता किया।
मामले में आरोप लगाया गया है कि आंध्र प्रदेश राज्य सरकार के एक अधिकारी को 25 लाख रुपये प्रति मेगावाट का भुगतान किया गया था। उसके बाद राज्य सेकी से 7,000 मेगावाट (7 गीगावाट) सौर ऊर्जा खरीदने के लिए सहमत हुआ। ओडिशा ने भी इसी तरीके से 500 मेगावाट बिजली खरीदी।
अदाणी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया और उन्हें निराधार बताया है। समूह ने अदाणी ग्रीन एनर्जी लि. के 60 करोड़ डॉलर के बॉण्ड को रद्द कर दिया है। मामला सामने आने से पहले निर्गम को तीन गुना अभिदान मिला था।
समूह के प्रवक्ता ने बयान में कहा, ‘‘अदाणी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग और अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग के आरोप निराधार हैं। हम उससे पूरी तरह से इनकार करते है। मामले में वह हरसंभव कानूनी कदम उठाए जाएंगे।’’
उसने कहा कि अभियोग में कही गयी बातें आरोप हैं और प्रतिवादियों को तबतक निर्दोष माना जाता है जब तक कि वे दोषी साबित न हो जाएं।
इन खबरों के बीच शेयर बाजार में अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट आई। समूह की दस सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में लगभग 26 अरब डॉलर (2.19 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। यह हिंडनबर्ग की जनवरी, 2023 में रिपोर्ट आने के बाद बाजार मूल्यांकन में आई गिरावट से दोगुना से अधिक है।
इस बीच, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अदाणी की गिरफ्तारी की मांग की है। तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी आरोपों को लेकर अदाणी पर हमला बोला है।
मामले के दस्तावेज में विस्तार से बताया गया है कि कैसे सागर अदाणी ने अपने मोबाइल फोन का उपयोग सरकारी अधिकारियों को दी गई रिश्वत की पेशकश और वादे के विवरण पर नजर रखने के लिए किया था। वहीं अदाणी ग्रीन एनर्जी के सीईओ विनीत जैन ने अपने फोन का उपयोग विभिन्न रिश्वत राशि का ब्योरा देने वाले दस्तावेज की तस्वीर लेने के लिए किया था।
उप-सहायक अटॉर्नी जनरल लिसा मिलर ने कहा, ‘‘ इस अभियोग में भारत सरकार के अधिकारियों को 25 करोड़ डॉलर से अधिक की रिश्वत देने, निवेशकों और बैंकों से झूठ बोलकर अरबों डॉलर जुटाने और न्याय में बाधा डालने की योजनाओं का आरोप लगाया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ये अपराध कथित तौर पर वरिष्ठ अधिकारियों और निदेशकों द्वारा अमेरिकी निवेशकों की कीमत पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के माध्यम से राज्यों में बड़े पैमाने पर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंधों को प्राप्त करने और वित्तपोषण के लिए किए गए थे। आपराधिक विभाग अमेरिकी कानून का उल्लंघन करने वाले भ्रष्ट, भ्रामक और अवरोधक आचरण पर आक्रामक रूप से मामले को आगे बढ़ाना जारी रखेगा। हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह दुनिया में कहां हुआ है।’’
अमेरिकी अधिकारियों ने दो अलग-अलग मामलों में अदाणी पर रिश्वत देने और प्रतिभूति धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। इसमें न्यूयॉर्क की एक अदालत में अमेरिकी न्याय विभाग की तरफ से दायर एक आपराधिक मामला है। इसमें उनपर और उनके भतीजे सागर सहित सात अन्य लोगों पर आरोप लगाया गया है।
इसके अलावा, अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) ने गौतम और सागर अदाणी तथा एज्योर पावर के एक कार्यकारी पर संघीय प्रतिभूति कानूनों के धोखाधड़ी निरोधक प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
अमेरिकी कानून अपने निवेशकों या बाजारों से जुड़े मामलों में विदेशों में भ्रष्टाचार के आरोपों को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है।
मिलर ने कहा, ‘‘अदाणी और उनके सहयोगियों ने अमेरिकी निवेशकों की कीमत पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के माध्यम से बड़े पैमाने पर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध और वित्तपोषण प्राप्त करने का प्रयास किया।’’
अभियोजकों ने मामले में 62 वर्षीय अदाणी और अदाणी ग्रीन एनर्जी लि. के दो अधिकारियों... कार्यकारी निदेशक और उनके भतीजे सागर आर अदाणी और सीईओ विनीत एस जैन पर निवेशकों को धोखा देने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
तीनों पर पांच अन्य प्रतिवादियों की मदद से योजना को अंजाम देने का आरोप है। उन पर विदेशी भ्रष्ट गतिविधियां अधिनियम (एफसीपीए) और न्याय में बाधा डालने के आरोप लगे हैं।
इसमें कहा गया है कि गौतम अदाणी ने व्यक्तिगत रूप से एक सरकारी अधिकारी से कई बार मुलाकात की। अभियोजकों के अनुसार, प्रतिवादियों ने इस संबंध में बड़े स्तर पर दस्तावेज तैयार किये थे।
प्रतिवादी रूपेश अग्रवाल ने पावरपॉइंट और एक्सेल का उपयोग कर रिश्वत योजना का विश्लेषण भी तैयार किया। अभियोग में गौतम और सागर अदाणी के साथ-साथ जैन पर साजिश रचने और प्रतिभूति धोखाधड़ी के आरोप लगाये गये हैं। साथ ही सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली एक अन्य नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी के पूर्व अधिकारी रंजीत गुप्ता और अग्रवाल पर एफसीपीए उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
अग्रवाल और एक कनाडाई संस्थागत निवेशक के तीन पूर्व कर्मचारियों... सिरिल कैबेन्स, सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा... पर न्याय में बाधा डालने और एफसीपीए उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
भाषा रमण