रुपया आठ पैसे टूटा, 84.50 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर
राजेश राजेश अजय
- 21 Nov 2024, 08:42 PM
- Updated: 08:42 PM
मुंबई, 21 नवंबर (भाषा) अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को रुपया आठ पैसे की गिरावट के साथ 84.50 प्रति डॉलर के अपने नए सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। अस्थिर भू-राजनीतिक स्थिति के बीच घरेलू शेयर बाजारों में भारी बिकवाली और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से रुपये की धारणा प्रभावित हुई।
विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के बीच सुरक्षित निवेश की अपील के कारण अमेरिकी मुद्रा मजबूत हुई, जबकि विदेशी कोषों की निरंतर निकासी से भी घरेलू मुद्रा पर दबाव पड़ा।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.41 प्रति डॉलर पर खुला। सत्र के दौरान यह 84.51 रुपये प्रति डॉलर के निचले स्तर पर जाने के बाद कारोबार के बाद अंत में 84.50 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद स्तर से आठ पैसे की गिरावट है।
मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 84.42 प्रति डॉलर पर स्थिर रुख के साथ बंद हुआ था।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के कारण बुधवार को विदेशी मुद्रा बाजार बंद था।
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि दिसंबर के अंत तक रुपया डॉलर के मुकाबले 84.5 के आसपास कारोबार करेगा। मजबूत डॉलर वैश्विक स्तर पर मुद्राओं के लिए मूल्यह्रास पूर्वाग्रह पैदा कर रहा है और निकट भविष्य में भारतीय बाजारों से एफपीआई के निकासी जारी रहने की संभावना है।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, भारत के पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार द्वारा समर्थित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हस्तक्षेप से रुपये की अस्थिरता को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।’’
एफपीआई ने नवंबर में भारतीय बाजारों से लगभग चार अरब डॉलर निकाले हैं, जबकि अक्टूबर में रिकॉर्ड 11 अरब डॉलर की निकासी हुई थी। हालांकि उच्च अमेरिकी बॉण्ड प्रतिफल और मजबूत डॉलर ने इन निकासी में योगदान दिया है, लेकिन अन्य घरेलू कारक भी इसमें भूमिका निभा रहे हैं।
सिन्हा ने कहा, ‘‘आगे जाकर, डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के कार्यान्वयन और चीन की प्रतिक्रिया पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि ये बाजार की गतिशीलता को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।’’
एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष-शोध विश्लेषक (जिंस एवं मुद्रा) जतिन त्रिवेदी ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच भू-राजनीतिक तनाव के कारण वैश्विक स्तर पर जोखिम से बचने की प्रवृत्ति बढ़ने के बीच डॉलर सूचकांक के 106.65 से ऊपर जाने के कारण दबाव बढ़ने से रुपया कमजोर हुआ।
उन्होंने कहा कि इसी के साथ अदाणी समूह पर अमेरिका में रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगने के बाद घरेलू शेयर बाजारों में बिकवाली को बढ़ावा मिला। ‘इससे एफआईआई की निकासी और बढ़ गई है, जिससे भारतीय बाजारों से पूंजी निकासी का सिलसिला जारी है।’
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.02 प्रतिशत की गिरावट के साथ 106.66 पर कारोबार कर रहा था।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.84 प्रतिशत बढ़कर 74.15 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
घरेलू शेयर बाजार में 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 422.59 अंक टूटकर 77,155.79 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 168.60 अंक की गिरावट के साथ 23,349.90 अंक पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने बृहस्पतिवार को 5,320.68 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
भाषा राजेश राजेश