भारतीय संस्कृति की जड़ों की तरफ लौटें: पूर्व उपराष्ट्रपाति वेंकैया नायडू
संतोष रंजन
- 21 Nov 2024, 03:12 PM
- Updated: 03:12 PM
हैदराबाद, 21 नवंबर (भाषा) पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बृहस्पतिवार को भारतीय संस्कृति की जड़ों की तरफ लौटने और इसकी भाषाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
यहां ‘राष्ट्रवादी विचारकों’ के सम्मेलन ‘लोकमंथन-2024’ के हिस्से के रूप में आयोजित एक प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद नायडू ने इस बात की आवश्यकता पर बल दिया कि हर किसी को फिर से ‘‘हमारी परंपराओं, संस्कृति और पहनावे’ का पालन करना शुरू कर देना चाहिए।
‘सनातन धर्म’ को श्रेष्ठ करार देते हुए नायडू ने कहा कि हिंदू धर्म इतना पवित्र है कि लोग चींटियों और सांपों को खाना खिलाते हैं और पेड़ों एवं मवेशियों की भी पूजा करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कृपया देखें कि हम वहां से कहां जा रहे हैं। अंग्रेज आये और हम पर आक्रमण कर दिया। उन्होंने न केवल हमें लूटा बल्कि हमारे हीरे और अन्य कीमती सामान भी छीन लिए। इतना ही नहीं, उन्होंने हमारे कुछ लोगों के दिमाग भी ‘लूट’ लिए। यही कारण है कि आज हममें (संस्कृति और परंपराओं को अपनाने के संबंध में) बदलाव आ रहे हैं।’’
उन्होंने युवाओं को प्रकृति के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार करने की सलाह दी।
नायडू ने शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं मानसिक रूप से सतर्क रहने के लिए योग का अभ्यास करने के महत्व पर जोर दिया।
लोकमंथन पर, नायडू ने कहा कि इस आयोजन का अंतर्निहित विचार भारतीयों के मन को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त कराना और भारतीय बौद्धिक विमर्श, संस्कृति, विरासत, संगीत और नृत्य के प्रति गर्व और प्रतिबद्धता की भावना को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा, ‘‘यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। इस कार्यक्रम के पीछे यह एक नेक विचार है।’’ केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 22 नवंबर को लोकमंथन-2024 का उद्घाटन करेंगी। ‘राष्ट्र-प्रथम’ बुद्धिजीवियों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के संगठन प्रज्ञा प्रवाह द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर बहस के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों के भी शामिल होने की उम्मीद है।
पूर्व-अब्राहमिक परंपराओं का पालन करने वाले समूहों सहित विदेशी देशों के प्रतिनिधि भी इसमें भाग लेकर सांस्कृतिक नृत्य और अन्य तरह की प्रदर्शनी प्रस्तुत करेंगे। आयोजकों ने कहा कि आईएसआईएस के हमलों का सामना करने वाले यजीदियों के भी सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है।
द्विवार्षिक कार्यक्रम लोकमंथन को पहले भोपाल और फिर रांची और गुवाहाटी में आयोजित किया गया था। इसकी शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी।
भाषा संतोष