हिमाचल सरकार ने दिव्यांग बच्चों वाली कामकाजी मांओं को छुट्टी देने के लिए नियमों में संशोधन किया
पारुल धीरज
- 20 Nov 2024, 08:48 PM
- Updated: 08:48 PM
नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय को बुधवार को सूचित किया गया कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने उन कामकाजी मांओं को बाल देखभाल अवकाश (सीसीएल) प्रदान करने के लिए नियम अधिसूचित किए हैं, जिन पर दिव्यांग बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी है।
शीर्ष अदालत को बताया गया कि राज्य के बाल देखभाल अवकाश नियमों में संशोधन केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के अनुरूप है और यह तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ के आदेश के बाद किया गया है।
यह आदेश राजकीय कॉलेज, नालागढ़ में भूगोल विभाग की एक सहायक प्रोफेसर की याचिका पर पारित किया गया था, जिसका 14 वर्षीय बेटा ‘ऑस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा’ से पीड़ित है।
‘ऑस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा’ एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जिसमें मरीज को निरंतर चिकित्सा देखभाल और सर्जरी की जरूरत होती है।
सहायक प्रोफेसर ने दलील दी थी कि राज्य में बाल देखभाल अवकाश प्रावधानों के अभाव के कारण उन्हें सभी स्वीकृत छुट्टियां लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे वह अब अपने बेटे की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हो गई हैं।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में 2021 में अपनी याचिका खारिज होने के बाद सहायक प्रोफेसर ने शीर्ष अदालत का रुख किया था।
इस साल 22 अप्रैल को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक ऐसी मां को छुट्टी देने से इनकार करने को “गंभीर” बताया था, जिस पर दिव्यांग बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी है।
पीठ ने कहा था कि यह कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के राज्य के संवैधानिक कर्तव्य का उल्लंघन है।
सर्वोच्च अदालत ने हिमाचल सरकार को उन कामकाजी महिलाओं को सीसीएल देने के मुद्दे पर नीतिगत निर्णय लेने के लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था, जिन पर दिव्यांग बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी है।
सहायक प्रोफेसर की वकील प्रगति नीखरा ने बुधवार को अधिसूचना को स्वीकार कर लिया, जिसके बाद न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एनके सिंह की पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया। हालांकि नीखरा ने संशोधित नियमों में कुछ खामियां बताईं।
नीखरा ने कहा कि संशोधित नियम केवल उन महिलाओं को राहत प्रदान करते हैं, जिन पर दिव्यांग बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी है।
इसपर पीठ ने याचिकाकर्ता को संशोधित नियमों में मौजूद कमियों को इंगित करते हुए राज्य के प्राधिकारियों को एक अभ्यावेदन सौंपने की छूट दी।
भाषा पारुल