जलवायु परिवर्तन से निपटने के मामले में प्रगति करने वाले देशों की सूची में दो पायदान फिसला भारत
पारुल धीरज
- 20 Nov 2024, 08:23 PM
- Updated: 08:23 PM
(गौरव सैनी)
बाकू (अजरबैजान), 20 नवंबर (भाषा) जलवायु परिवर्तन से निपटने के मामले में प्रगति करने वाले देशों की सूची में भारत पिछले साल के मुकाबले दो पायदान नीचे खिसक गया है। हालांकि, प्रति व्यक्ति कम उत्सर्जन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को तेजी से अपनाने के कारण वह अब भी शीर्ष-10 में बरकरार है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है।
बाकू में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में जारी जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई-2025) में शीर्ष तीन स्थान खाली रखे गए हैं, क्योंकि किसी भी देश ने सूचकांक के सभी पैमानों पर इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया कि उसे कुल मिलाकर “बहुत उच्च” रेटिंग दी जाए।
सीसीपीआई-2025 में डेनमार्क, नीदरलैंड और ब्रिटेन को क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे पायदान (लेकिन तकनीकी रूप से चौथा, पांचवां और छठा स्थान) पर रखा गया है। जबकि, दुनिया के सबसे बड़े ग्रीनगाउस गैस उत्सर्जक चीन और अमेरिका को क्रमश: 55वां और 57वां स्थान दिया गया है।
थिंक टैंक ‘जर्मनवॉच’, ‘न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट’ और ‘क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल’ की ओर से प्रकाशित सीसीपीआई-2025 में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने की नीति के मामले में दुनिया के शीर्ष उत्सर्जक देशों की प्रगति का आकलन किया गया है।
इस सूचकांक में यूरोपीय संघ (ईयू) सहित जिन 60 से अधिक देशों की जलवायु प्रगति का मूल्यांकन किया गया है, वे 90 फीसदी वैश्विक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
भारत इस साल के सीसीपीआई में 10वां पायदान पर है।
हालांकि, सीसीपीआई-2025 में कहा गया है कि भारत की जलवायु नीति में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना नहीं है। इसमें कहा गया है कि उद्योगों के लिए ऊर्जा की बढ़ती मांग और आबादी में वृद्धि के कारण जलवायु कार्रवाई को लेकर विकासोन्मुख दृष्टिकोण जारी रहने या मजबूत होने की गुंजाइश है।
तीन अंतरराष्ट्रीय जलवायु थिंक टैंक ने कहा, “भारत भले ही दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, लेकिन यहां प्रति व्यक्ति उत्सर्जन और ऊर्जा खपत अपेक्षाकृत कम है। पिछले दशक में नवीकरणीय ऊर्जा का तेजी से विस्तार हुआ और भारत हरित ऊर्जा के मामले में वैश्विक मंच पर अग्रणी भूमिका निभाने का इच्छुक है।”
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 2.9 टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य (टीसीओ2ई) है, जो वैश्विक औसत 6.6 टीसीओ2ई से काफी कम है।
भारत ने 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई है और उसकी 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल करने की योजना है।
सीसीपीआई के विशेषज्ञों के अनुसार, भारत ने अपनी नवीकरणीय ऊर्जा नीति में पिछले साल उल्लेखनीय प्रगति की है, खास तौर पर बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा परियोजनाओं और सौर रूफटॉप सब्सिडी योजना की शुरुआत के साथ।
विशेषज्ञों ने कहा कि भारत ने ऊर्जा दक्षता मानक पेश किए हैं और इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल के मामले में भी आगे बढ़ा है।
हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि सकारात्मक पहलों के बावजूद भारत अभी भी कोयले पर काफी निर्भर है।
सीसीपीआई-2025 में कहा गया है, “भारत सबसे बड़े कोयला भंडार वाले 10 देशों में शामिल है और वह इसका उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रहा है।”
इस साल सीसीपीआई में अर्जेंटीना की रैंकिंग में सबसे ज्यादा गिरावट और ब्रिटेन की रैंकिंग में सबसे ज्यादा सुधार दर्ज किया गया।
सीसीपीआई-2025 में ईरान (67), सऊदी अरब (66), संयुक्त अरब अमीरात (65) और रूस (64) को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई करने के मामले में सबसे पीछे बताया गया है। ये चारों देश दुनिया के सबसे बड़े तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादकों में शामिल हैं।
भाषा पारुल