ईपीएफओ ने सितंबर में 18.81 लाख सदस्य जोड़े
रमण अजय
- 20 Nov 2024, 07:55 PM
- Updated: 07:55 PM
नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने सितंबर में 18.81 लाख सदस्यों को जोड़ा है। यह बीते साल के इसी महीने के मुकाबले 9.33 प्रतिशत अधिक है। इससे पता चलता है कि संगठित क्षेत्र में नौकरियां बढ़ी हैं।
ईपीएफओ के नियमित वेतन पर रखने वाले कर्मचारियों (पेरोल) के आंकड़ों के अनुसार, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने सितंबर, 2024 में 9.47 लाख नये सदस्य जोड़े। यह सितंबर, 2023 के मुकाबले 6.22 प्रतिशत अधिक है।
इसमें कहा गया है कि नई सदस्यता में वृद्धि का श्रेय रोजगार के बढ़ते अवसरों, कर्मचारी लाभ के बारे में बढ़ती जागरूकता और ईपीएफओ के प्रचार-प्रसार कार्यक्रमों को दिया जा सकता है।
बयान के अनुसार, ईपीएफओ ने सितंबर, 2024 के लिए अस्थायी ‘पेरोल’ आंकड़ा जारी किया है। इसके तहत उसकी समाजिक सुरक्षा योजना से शुद्ध रूप से 18.81 लाख सदस्य जुड़े। यह सितंबर, 2023 की तुलना में 9.33 प्रतिशत अधिक है।
आंकड़ों के अनुसार, शुद्ध रूप से जोड़े गये सदस्यों में 18-25 आयु वर्ग के लोग अधिक है। सितंबर 2024 में जोड़े गए कुल नए सदस्यों में इनकी हिस्सेदारी 59.95 प्रतिशत है।
इसमें कहा गया है कि सितंबर, 2024 के लिए 18-25 आयु वर्ग में 8.36 लाख सदस्य जुड़े। यह सितंबर, 2023 के आंकड़ों की तुलना में 9.14 प्रतिशत अधिक है।
यह पहले की प्रवृत्ति के अनुरूप है। यह बताता है कि संगठित कार्यबल में शामिल होने वाले अधिकांश व्यक्ति युवा हैं। मुख्य रूप से ये वे लोग हैं, जिन्हें पहली बार नौकरी मिली है।
आंकड़ों के अनुसार, लगभग 14.10 लाख सदस्य बाहर निकल गए और बाद में ईपीएफओ में फिर से शामिल हुए। यह आंकड़ा सालाना आधार पर 18.19 प्रतिशत अधिक है।
स्त्री-पुरुष आधार पर आलोच्य महीने के दौरान लगभग 2.47 लाख महिलाओं को नये सदस्यों के रूप में जोड़ा गया। यह सालाना आधार पर 9.11 प्रतिशत अधिक है।
शुद्ध रूप से महिला सदस्यों की संख्या लगभग 12 प्रतिशत बढ़कर करीब 3.70 लाख रही।
पेरोल डेटा के राज्य-वार विश्लेषण से पता चलता है कि शीर्ष पांच राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में माह के दौरान शुद्ध सदस्य वृद्धि लगभग 59.86 प्रतिशत या 11.26 लाख है।
सभी राज्यों में से महाराष्ट्र शीर्ष पर रहा। उसने आलोच्य महीने में 21.20 प्रतिशत शुद्ध सदस्य जोड़े।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने व्यक्तिगत रूप से महीने के दौरान शुद्ध सदस्यों में से पांच प्रतिशत से अधिक जोड़े।
इसमें कहा गया है कि ‘पेरोल’ आंकड़ा अस्थायी है। इसका कारण आंकड़ा सृजन सतत चलने वाली प्रक्रिया है।
भाषा रमण