कुकी संगठन ने मैतेई समुदाय की महिलाओं, बच्चों की हत्या की निंदा की
पारुल धीरज
- 20 Nov 2024, 07:36 PM
- Updated: 07:36 PM
इंफाल/गुवाहाटी, 20 नवंबर (भाषा) ‘कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (केओएचयूआर)’ ने मणिपुर के जिरीबाम जिले में उग्रवादियों द्वारा मैतेई समुदाय की छह महिलाओं और बच्चों की हत्या की निंदा की और प्रशासन से इस “जघन्य कृत्य” में संलिप्त दोषियों को गिरफ्तार करने का आग्रह किया।
केओएचयूआर ने सरकार से उन लोगों को भी सजा दिलाने की मांग की है, जिन्होंने पिछले साल मई में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद कुकी-जो समुदाय की कई महिलाओं और बच्चों की हत्या की।
कुकी आदिवासी संगठन ने मंगलवार को एक बयान में कहा, “ केओएचयूआर जिरीबाम जिले में हथियारबंद बदमाशों द्वारा मैतेई समुदाय की छह महिलाओं और बच्चों की हत्या किए जाने की कड़ी निंदा करता है। सभी को जाति या धर्म से परे किसी भी इनसान की हत्या की निंदा करनी चाहिए।”
बयान में कहा गया है, “कुकी-जो समुदाय यहां तक कि युद्ध के समय में भी नागरिकों को नहीं मारने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों से इस जघन्य कृत्य में शामिल दोषियों का पता लगाने का अनुरोध करते हैं।”
जिरीबाम जिले में 11 नवंबर को सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 10 उग्रवादी मारे गए थे। मुठभेड़ के कुछ घंटे बाद राहत शिविर में रहने वाली तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हो गए थे।
इनमें से दो महिलाओं और एक बच्चे के शव असम के कछार में बराक नदी से शनिवार को बरामद किए गए थे, जबकि एक महिला एवं दो बच्चों के शव शुक्रवार रात जिरीबाम में जिरी नदी से मिले थे। ऐसा आरोप है कि उग्रवादियों ने अपहरण के बाद इन लोगों की हत्या कर दी।
केओएचयूआर ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार और राष्ट्रीय मीडिया केवल तभी ध्यान देती है, जब मैतेई समुदाय के लोग मारे जाते हैं।
संगठन ने कहा, “कुकी-जो समुदाय के साथ ऐसा अनगिनत बार हो चुका है। समुदाय की महिलाओं और बच्चों को मार डाला गया, जला दिया गया और क्षत-विक्षत कर दिया गया, जैसे कि वे जानवर हों।”
केओएचयूआर ने यह भी मांग की कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां सात साल के उस बच्चे की मौत की जांच करें, जिसे मई 2023 में हिंसा भड़कने के तुरंत बाद उनकी मां के साथ एंबुलेंस के अंदर “जिंदा जला दिया गया” था।
संगठन ने आरोप लगाया कि जिरीबाम में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 10 विद्रोही कुकी-जो समुदाय के स्वयंसेवक थे, जिन्हें सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के जवानों के साथ कुछ बातचीत करने के बाद पीछे से गोली मार दी गई थी।
उसने कहा, “बिना रहम के साथी भारतीय नागरिकों की हत्या के लिए जिम्मेदार सीआरपीएफ जवानों के खिलाफ जांच की जानी चाहिए और रक्षा के लिए ड्यूटी पर रहते हुए मानवता के खिलाफ अपराध के लिए उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।”
केओएचयूआर ने कहा कि पिछले 18 महीनों में कुकी-जो समुदाय की कई महिलाओं और बच्चों की “हत्या की गई, उन्हें जलाया गया और क्षत-विक्षत किया गया”, लेकिन इन मामलों को “अनदेखा और नजरअंदाज” किया गया। उसने मांग की कि “कानून को बिना पक्षपात के सभी के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।”
भाषा पारुल