भारत और ऑस्ट्रेलिया ने स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी मजबूत की, मेगा व्यापार समझौते पर जोर
शोभना संतोष मनीषा
- 20 Nov 2024, 05:32 PM
- Updated: 05:32 PM
(तस्वीरों सहित)
रियो डी जेनेरियो, 20 नवंबर (भाषा) भारत और ऑस्ट्रेलिया ने एक महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा साझेदारी पर मुहर लगाने के साथ ही एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीज ने समग्र द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ने का संकल्प जताया है।
यहां जी20 शिखर सम्मेलन से इतर मंगलवार देर रात आयोजित दूसरे भारत-ऑस्ट्रेलिया वार्षिक सम्मेलन में रक्षा और सुरक्षा संबंधों, गतिशीलता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्रों में संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों सहित कई मुद्दे प्रमुखता से उठाए गए।
एक संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों नेता सामूहिक ताकत को बढ़ाने, दोनों देशों की सुरक्षा में योगदान करने और क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए रक्षा और सुरक्षा सहयोग के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को लेकर आशान्वित हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा साझेदारी (आरईपी) सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण, संबंधित परियोजनाओं और संबद्ध क्षेत्रों में निवेश जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग के लिए रूपरेखा प्रदान करेगी।
अल्बनीज के साथ शिखर वार्ता के बाद मीडिया को दिये बयान में मोदी ने कहा कि दोनों पक्ष रक्षा उद्योग, महत्वपूर्ण खनिज, नवीकरणीय ऊर्जा, जहाज निर्माण, अंतरिक्ष और खेल जैसे क्षेत्रों में सहयोग की नई संभावनाओं पर काम करेंगे।
संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों की पूरी क्षमता को महसूस करने के लिए ‘महत्वाकांक्षी, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभप्रद’ व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) की दिशा में आगे काम करने का स्वागत किया।
दोनों पक्ष 2022 में हस्ताक्षरित आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) द्वारा हासिल की गई गति को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं।
अपने बयान में मोदी ने कहा कि पारस्परिक रूप से लाभकारी सीईसीए के लिए काम किया जाएगा और अल्बनीज ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय, विशेषकर भारतीय छात्रों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ ईसीटीए लागू होने के बाद पिछले दो साल में हमारा आपसी व्यापार 40 फीसदी बढ़ गया है।’’ मोदी ने बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्षों और तनावों को हल करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि का समर्थन करते रहे हैं और करते रहेंगे। हमने वैश्विक संघर्षों और तनावों को हल करने के लिए बातचीत और कूटनीति पर जोर दिया है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता पर एकमत हैं।
मोदी ने कहा कि अल्बनीज ने अगले साल भारत में होने वाले ‘क्वाड’ शिखर सम्मेलन के लिए उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच साझेदारी नई ऊंचाइयों को छुएगी और वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत बनेगी।’’
संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने माना कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘फ्यूचर मेड इन ऑस्ट्रेलिया’ में पूरक और सहयोगात्मक क्षमता है और यह नई नौकरियां पैदा करने, आर्थिक विकास की राह दिखाने और बदलती दुनिया में हमारी भविष्य की समृद्धि को सुरक्षित करने में मदद कर सकता है।
इसमें कहा गया है कि नेताओं ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी को प्रतिबिंबित करते हुए अधिक से अधिक दोतरफा निवेश का आह्वान किया और अधिकारियों को दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के बीच अधिक तालमेल बनाने के तरीके तलाशने का निर्देश दिया।
मोदी और अल्बनीज ने एक खुले, समावेशी, स्थिर, शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई जहां संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाए।
दक्षिण चीन सागर के साथ-साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य ताकत को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच यह टिप्पणी आई है।
भाषा शोभना संतोष