ओडिशा सरकार ने बच्चों को 'बेचे जाने' के मामले की जांच के आदेश दिए
शुभम नरेश
- 20 Nov 2024, 03:42 PM
- Updated: 03:42 PM
भुवनेश्वर, 20 नवंबर (भाषा) ओडिशा सरकार ने रायगड़ा और बोलांगीर जिलों में गरीबी के कारण दो बच्चों को कथित तौर पर बेचे जाने की घटनाओं की जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
रायगड़ा जिले में एक घटना सामने आई है, जिसमें एक गरीब दम्पति ने अपनी नौ दिन की बेटी को पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश के एक दम्पति को 20,000 रुपये में बेच दिया।
एक अधिकारी ने बताया कि कुमुद गंटा (22) और उनके पति राहुल धनबेड़ा (25) रायगड़ा के चंदिली पुलिस थाना सीमा के अंतर्गत नुआपाड़ा कॉलोनी के निवासी हैं और उनकी तीन साल की बेटी और एक नवजात शिशु जिला मुख्यालय अस्पताल में हैं।
राहुल किसी ट्रक पर खलासी के तौर पर काम करता है और उसकी मासिक आय 1,500 रुपये है। रिपोर्ट के मुताबिक एक मध्यस्थ ने लेन-देन में दंपति की मदद की।
सूत्रों ने बताया कि बच्चे को कथित तौर पर 11 नवंबर को आंध्र प्रदेश के पार्वतीपुरम मन्यम जिले के पेदापेनकी गांव के एक दंपत्ति को बेचा गया था।
जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू) के सदस्य निराकार पाढ़ी ने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि बच्चे को स्टाम्प पेपर पर हुए समझौते के जरिए आंध्र के दंपत्ति को दिया गया था।
उन्होंने कहा, "हालांकि मूल माता-पिता ने कोई भी पैसा मिलने से इनकार किया है, लेकिन हमारी जांच में 20,000 रुपये के लेन-देन का पता चला है।"
इसी तरह का एक मामला बोलांगीर जिले के खपराखोल ब्लॉक से सामने आया, जहां एक दम्पति ने कथित तौर पर "अपनी नवजात बेटी को अज्ञात व्यक्तियों को उपहार में दे दिया"।
इसका कारण यह था कि वे अत्यधिक गरीबी के कारण उसका पालन-पोषण करने में असमर्थ थे।
उपमुख्यमंत्री के.वी. सिंह देव (जो बोलांगीर से हैं) ने संगुरजीभाटा गांव में नवजात शिशु की कथित बिक्री की जांच के आदेश दिए हैं।
सिंह देव ने मंगलवार को बच्चे की मां अरुणाबाती नाग से मुलाकात की।
अरुणाबाती ने दावा किया कि उसने अपने नवजात शिशु को अज्ञात लोगों को "उपहार" में दे दिया क्योंकि वह छह बच्चों की देखभाल नहीं कर सकती थी।
सिंह देव ने कहा, "हमारी बातचीत के दौरान मां ने बताया कि वह छह बच्चों का पालन-पोषण करने में असमर्थ थी। इसलिए परिवार ने सबसे छोटे बच्चे को उपहार में देने का फैसला किया।"
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
महिला एवं बाल विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, "हमने जिला अधिकारियों से मामले की जांच करने और अन्य दम्पतियों को दिए गए बच्चों को वापस लाने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है।"
भाषा
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