प्रदूषण संकट: कृत्रिम बारिश चाहती है दिल्ली सरकार, प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
अमित पवनेश
- 19 Nov 2024, 10:17 PM
- Updated: 10:17 PM
नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण मंगलवार को भी खतरनाक स्तर में रहने के बीच दिल्ली सरकार ने शहर में कृत्रिम बारिश कराने पर जोर दिया और सामान्य जनजीवन को प्रभावित करने वाले इस संकट से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता में तकनीकी रूप से थोड़ा सुधार हुआ है और वायु गुणवत्ता सूचकांक पिछले दिन के 490 से घटकर 460 हो गया है, लेकिन यह अभी भी बेहद गंभीर श्रेणी में है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्र से स्थिति से निपटने के लिए एक आपातकालीन बैठक बुलाने और राष्ट्रीय राजधानी में कृत्रिम बारिश कराने को मंजूरी देने का आग्रह किया। राजधानी शहर के 32 वायु निगरानी स्टेशन में से 23 ने वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 से ऊपर दर्ज किया, जो उच्चतम बेहद गंभीर श्रेणी को दर्शाता है।
मंगलवार को शाम 4 बजे दर्ज किया गया 24 घंटे का औसत एक्यूआई 460 रहा, जो सोमवार को 494 था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, सोमवार का दर्ज एक्यूआई 2015 में एक्यूआई निगरानी शुरू होने के बाद से दर्ज की गई दूसरी सबसे खराब वायु गुणवत्ता है।
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'बहुत खराब', 401-450 को 'गंभीर' और 450 से ऊपर को 'बेहद गंभीर' माना जाता है।
मंगलवार को शाम 4 बजे सीपीसीबी के आंकड़ों में पीएम 2.5 का स्तर 307 दर्ज किया गया, जो प्रमुख प्रदूषक है। पीएम 2.5 कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, ये कण फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है।
अलीपुर, आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, द्वारका सेक्टर 8, इहबास, दिलशाद गार्डन, जहांगीरपुरी, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम, मंदिर मार्ग, मुंडका, नजफगढ़, नरेला, नेहरू नगर, पटपड़गंज, पंजाबी बाग, रोहिणी, सिरी फोर्ट और वजीरपुर जैसे क्षेत्रों में निगरानी स्टेशनों ने एक्यूआई के स्तर को "बेहद गंभीर" श्रेणी में बताया।
अधिकारियों ने कहा कि इस बीच, दिल्ली सरकार ने अपने सभी अस्पतालों को गंभीर वायु प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियों वाले रोगियों के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों से श्वसन संबंधी बीमारियों के दैनिक मामलों की निगरानी करने और रिपोर्ट करने को कहा है, जिसमें बाह्य रोगी (ओपीडी) और आंतरिक रोगी (आईपीडी) दोनों मामले शामिल हैं। साथ ही विभाग ने अस्पतालों से मामलों की संख्या में किसी भी असामान्य वृद्धि की तुरंत जानकारी देने को कहा है।
दिल्ली सरकार के निर्देश के मुताबिक दैनिक रिपोर्ट सेंटर फॉर आक्यूपेशनल एंड एनवायरमेंटल हेल्थ (सीओईएच) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गोविंद मावारी के साथ साझा की जाएगी।
इसके अलावा, टेलीमेडिसिन सेल की प्रभारी डॉ. रीना यादव को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है कि श्वसन संबंधी समस्याओं संबंधी टेली-परामर्श के लिए विशेषज्ञ उपलब्ध हों। विभाग की ओर से कहा गया है कि इन परामर्श की निगरानी भी की जाएगी और सीओईएच को प्रतिदिन रिपोर्ट की जाएगी।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र के निर्णय समर्थन प्रणाली (डीएसएस) के अनुसार, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन ने मंगलवार को दिल्ली के प्रदूषण में अनुमानित 16 प्रतिशत का योगदान दिया। पराली जलाने का प्रदूषण में कितना योगदान है, इसका डेटा लगातार दूसरे दिन उपलब्ध नहीं कराया गया।
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ने के बीच, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्र से कदम उठाये जाने के लिए एक आपात बैठक बुलाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नैतिक जिम्मेदारी है।
राय ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी में कृत्रिम बारिश की अनुमति देने के दिल्ली सरकार के बार-बार अनुरोधों पर कोई कदम नहीं उठाया है। राय ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को चार बार पत्र लिखकर कृत्रिम बारिश कराने के लिए ‘क्लाउड सीडिंग’ के लिए तत्काल मंजूरी मांगी है, जिससे बढ़ते प्रदूषण संकट से निपटने में मदद मिल सकती है।
‘क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना’ (जीआरएपी) के चौथे चरण के तहत प्रतिबंधों के तहत निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध के बीच, दिहाड़ी मजदूरों ने कहा कि उनकी आजीविका बुरी तरह प्रभावित होगी।
मध्य प्रदेश की निवासी सुमन (45), जो वर्तमान में दिल्ली के रोहिणी में एक निर्माण स्थल पर काम करती हैं, ने कहा, ‘‘अगर हम घर पर बैठे रहेंगे, तो हम क्या खाएंगे? हम अपने बच्चों को क्या खिलाएंगे?’’
सुमन ने हाल ही में सरकारी सहायता प्राप्त करने की उम्मीद से अपने श्रमिक कार्ड का नवीनीकरण कराया था, लेकिन उन्होंने कहा कि यह व्यर्थ रहा।
दो बच्चों की मां सुमन ने कहा, ‘‘हमारे पास सरकारी नौकरी नहीं है जहां वेतन अपने आप आता है। हम दैनिक कमाई पर निर्भर रहते हैं और बिना काम के, हमारे पास कुछ भी नहीं होता है।’’
इसी तरह, मजदूर राजेश कुमार (42) ने कहा कि बिहार के उनके गांव में उनका परिवार उनके द्वारा घर भेजे जाने वाले पैसों पर निर्भर है।
उन्होंने कहा, ‘‘निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध हर साल लगता है, लेकिन समस्या को हल करने के बजाय सरकार हम जैसे लोगों के लिए और अधिक बाधाएं खड़ी करती है।’’
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर के सभी राज्यों को प्रदूषण रोधी जीआरएपी 4 पाबंदियों को सख्ती से लागू करने के लिए तुरंत टीमें गठित करने का निर्देश दिया था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उसके आदेश के बिना पाबंदियों को हटाया नहीं जा सकता।
व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले कई संघों ने कहा कि बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण शहर के बाजारों में लोगों की संख्या में काफी कमी आई है।
सदर बाजार ट्रेड्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव ने कहा कि आम दिनों की तुलना में सदर बाजार में लोगों की संख्या में लगभग 15 प्रतिशत की गिरावट आई है।
खान मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव मेहरा ने कहा कि सोमवार से जीआरएपी चरण चार के कार्यान्वयन के बाद से लोगों की संख्या में 60 प्रतिशत की तीव्र गिरावट आई है। मेहरा ने कहा, ‘‘खान मार्केट में लोगों की संख्या में भारी गिरावट आई है और इसका असर व्यापारियों, खासकर छोटे दुकानदारों पर पड़ रहा है। ये उपाय छोटे व्यापारियों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं।’’
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के खतरनाक स्तर ने शैक्षणिक संस्थानों को ऑफ़लाइन कक्षाओं से दूर रहने पर मजबूर कर दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) के बाद, जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने भी वायु गुणवत्ता खराब होने के कारण ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प चुनने की घोषणा की।
दिल्ली के पड़ोसी गाजियाबाद में एक्यूआई 434 दर्ज किया गया, इसके बाद बहादुरगढ़ (416), गुरुग्राम (402) और हापुड़ (419) भी गंभीर श्रेणी में रहे।
स्काईमेट वेदर में मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा कि जब तक हवा की गति नहीं बढ़ती, एक्यूआई में उल्लेखनीय सुधार होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि हवा और बारिश शायद अगले दो से तीन दिनों में प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है।
भाषा अमित