जलवायु वित्त पर स्पष्ट संकेत देने में विफल रहा जी20, लेकिन बहुपक्षवाद के लिए समर्थन महत्वपूर्ण: विशेषज्ञ
वैभव माधव
- 19 Nov 2024, 05:21 PM
- Updated: 05:21 PM
(गौरव सैनी)
बाकू (अजरबैजान), 19 नवंबर (भाषा) कई जलवायु विशेषज्ञों का मानना है कि विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने के लिए नए वित्तीय पैकेज पर सहमत होने की कोशिश कर रहे वार्ताकारों को जी20 के नेताओं ने कोई मजबूत संकेत नहीं दिया है।
हालांकि, उनका कहना है कि यह बात भी महत्वपूर्ण है कि 80 प्रतिशत वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार दुनिया के 20 सबसे अमीर देशों ने जलवायु समस्याओं को हल करने के लिए बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के लिए अपने समर्थन की फिर से पुष्टि की है।
यह अमेरिका और अर्जेंटीना द्वारा पेरिस समझौते से बाहर निकलने को लेकर चिंताओं के बीच हुआ है, जिसने बाकू में वार्ताकारों के मनोबल को प्रभावित किया है।
यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र जैसी ‘एकतरफा व्यापार प्रक्रियाओं’ पर जी20 का विरोध भी विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
विशेषज्ञों ने जी20 के बयान में कुछ प्रमुख खामियों को नोट किया है। इसमें स्पष्ट रूप से जीवाश्म ईंधन से दूर जाने या जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान और क्षति को दूर करने के लिए संसाधनों को जुटाने का उल्लेख नहीं किया गया है।
दिल्ली स्थित ‘काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवॉयरमेंट एंड वॉटर’ में वरिष्ठ फेलो वैभव चतुर्वेदी ने कहा कि जी20 नए जलवायु वित्तीय पैकेज पर चर्चा करने का सही मंच नहीं है जिस पर संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन समझौता रूपरेखा (यूएनएफसीसीसी)प्रक्रिया के तहत सीओपी 29 सम्मेलन में चर्चा की जा रही है।
उन्होंने कहा कि जी20 के नेताओं का बहुपक्षवाद पर जोर देना महत्वपूर्ण है। चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘अमेरिका और अर्जेंटीना के पीछे हटने जैसी अनिश्चितताओं के बावजूद उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि बहुपक्षीस प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।’’
जलवायु कार्यकर्ता और जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल के लिए ‘ग्लोबल इंगेजमेंट डायरेक्टर’ हरजीत सिंह ने कहा, ‘‘सीओपी29 में वित्त पर निर्णायक प्रगति के बिना, हम एक भयावह तापमान परिदृश्य की ओर बढ़ रहे हैं, जहां सबसे कमजोर लोगों को सबसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।’’
दिल्ली स्थित ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट’ के कार्यक्रम अधिकारी त्रिशांत देव ने प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों के खिलाफ जी20 के रुख का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के उपाय विकासशील देशों को नुकसान पहुंचाते हैं।
भाषा वैभव