हांगकांग राष्ट्रीय सुरक्षा मामले में 45 कार्यकर्ताओं को चार से 10 साल की सजा
एपी सुरभि प्रशांत
- 19 Nov 2024, 04:48 PM
- Updated: 04:48 PM
हांगकांग, 19 नवंबर (एपी) हांगकांग के सबसे बड़े राष्ट्रीय सुरक्षा मामले में कई प्रमुख कार्यकर्ताओं को चीन द्वारा लागू व्यापक सुरक्षा कानून के तहत मंगलवार को चार से 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई।
हांगकांग में चीन के इस राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को कुचल दिया गया था।
चीन के 2020 के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत एक अनाधिकारिक ‘प्राइमरी’ के चुनाव में इन कार्यकर्ताओं की भूमिका के लिए 2021 में उन पर मुकदमा चलाया गया था। इन कार्यकर्ताओं पर हांगकांग की सरकार को पंगु बनाने और विधायी बहुमत हासिल कर इसके नेता को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने के प्रयास का आरोप है।
जुलाई 2020 में आयोजित अनौपचारिक ‘प्राइमरी’ के चुनाव में 6,10,000 मतदाता थे और इसके विजेताओं के आधिकारिक चुनाव में आगे बढ़ने की उम्मीद थी। हालांकि, अधिकारियों ने कोविड-19 महामारी के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों का हवाला देते हुए आधिकारिक विधायी चुनाव स्थगित कर दिया था।
मामले में फैसला सुनाने वाले न्यायाधीशों ने कानून विशेषज्ञ बेनी ताई को इस पूरे प्रकरण का ‘मुख्य सरगना’ करार दिया। ताई को सबसे अधिक 10 साल की सजा सुनाई गई। न्यायाधीशों ने कहा कि उन प्रतिवादियों की सजा कम कर दी गई है जिन्होंने कहा था कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह योजना गैरकानूनी थी।
अदालत ने हालांकि कहा कि ताई और पूर्व सांसद एल्विन येउंग के लिए दंड कम नहीं किया गया क्योंकि वे कानून विशेषज्ञ हैं और वे ‘‘योजना के कार्यान्वयन पर जोर देने में पूरी तरह अड़े हुए थे’’।
ऑनलाइन अपलोड किए गए एक फैसले में न्यायाधीशों ने लिखा कि ताई ने कई महीने तक ऐसे कई लेख प्रकाशित करके अनिवार्य रूप से ‘‘क्रांति की वकालत की’’, जो उनकी सोच को दर्शाता है। भले ही अपने बचाव पत्र में ताई ने कहा कि इन कदमों का ‘‘कभी भी किसी राजनीतिक कार्रवाई के रूप में उपयोग करने का उनका इरादा नहीं था।’’
इस संबंध में 45 दोषियों को चार साल और दो महीने से लेकर 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई। शेष आरोपियों ने या तो दोष स्वीकार कर लिया या मामले में सुनवाई के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित तीन न्यायाधीशों ने उन्हें साजिश रचने का दोषी पाया। न्यायाधीशों ने फैसले में कहा कि चुनाव के माध्यम से परिवर्तन लाने की कार्यकर्ताओं की योजना सरकार के अधिकार को कमजोर कर देती और इसके कारण संवैधानिक संकट पैदा हो जाता।
न्यायाधीशों ने कुछ प्रतिवादियों की इस दलील को खारिज कर दिया कि यह योजना कभी साकार नहीं हो सकती थी। साथ ही कहा कि ‘‘सभी प्रतिभागियों ने इसे सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया था’’।
न्यायाधीशों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘प्राइमरी’ के चुनाव के आयोजन में बहुत अधिक समय, संसाधन और धन खर्च किया गया।
फैसले में कहा गया, ‘‘जब 10 और 11 जुलाई को प्राइमरी के चुनाव हुए थे, तब किसी ने भी इस तथ्य का जिक्र तक नहीं किया कि प्राइमरी का चुनाव एक अकादमिक अभ्यास से अधिक कुछ नहीं था और यह योजना पूरी तरह अप्राप्य थी।’’
पत्रकार से सामाजिक कार्यकर्ता बनीं ग्वेनेथ हो को सात साल की जेल हुई। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर कहा, ‘‘चीन के प्रति हमारा असली अपराध यह है कि हम हेरफेर वाले चुनावों में भाग लेने से संतुष्ट नहीं थे।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘हमने शासन से यह सवाल पूछने का साहस किया: क्या इस तरह के ढांचे में लोकतंत्र कभी संभव होगा? इसका जवाब था समाज के सभी मोर्चों पर पूरी तरह से दमन करना।’’
मूल 47 प्रतिवादियों में से दो को बरी कर दिया गया।
एपी सुरभि