मुख्य संसदीय सचिवों को इस्तीफा देकर दोबारा विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए: अनुराग ठाकुर
नोमान मनीषा
- 19 Nov 2024, 04:44 PM
- Updated: 04:44 PM
हमीरपुर (हिप्र), 19 नवंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश में उच्च न्यायालय द्वारा छह मुख्य सचिवों की नियुक्त को रद्द करने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को कहा कि इन मुख्य संसदीय सचिवों को अपनी सीट से फिर से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए।
पिछले सप्ताह बुधवार को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा था कि जिस कानून के तहत ये नियुक्तियां की गई थीं, वह अमान्य है। न्यायमूर्ति विवेक ठाकुर और न्यायमूर्ति बी सी नेगी की खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिया था कि इन मुख्य संसदीय सचिवों की सभी सुविधाएं और विशेषाधिकार तत्काल वापस लिए जाएं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आठ जनवरी 2023 को छह मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) - अर्की विधानसभा से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल बराकटा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को नियुक्त किया था। मुख्यमंत्री ने यह फैसला कैबिनेट विस्तार से पहले किया था।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मांग कर रही है कि सीपीएस के रूप में नियुक्त सभी विधायकों की सदस्यता रद्द की जाए। हालांकि, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी का कहना है कि सीपीएस की नियुक्ति विधानसभा द्वारा पारित अधिनियम के तहत की गई थी। वे लाभ के पद के दायरे में नहीं आते और छह सीपीएस की विधानसभा सदस्यता सुरक्षित है।
यहां जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ठाकुर ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के मद्देनजर छह मुख्य संसदीय सचिवों को अपनी सीट से इस्तीफा दे देना चाहिए और अपनी सीट से फिर से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सीपीएस पर खर्च होने वाला पैसा भी राज्य सरकार के खजाने में जमा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जानती थी कि विधायकों को सीपीएस बनाना कानून के खिलाफ है।
ठाकुर ने कहा कि राज्य पर 96 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है, इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने सीपीएस को सुविधाएं देकर कर्ज बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि यह जनता के हितों के साथ खिलवाड़ है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिमाचल कांग्रेस के झूठे वादों की पोल पूरे देश में खुल चुकी है। कांग्रेस की हालत यह हो गई है कि अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की नीतियों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
भाषा नोमान