घटिया इस्पात उत्पादों के आयात के मुद्दे के समाधान पर काम कर रही है सरकार : कुमारस्वामी
निहारिका अजय
- 19 Nov 2024, 03:33 PM
- Updated: 03:33 PM
नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) केंद्रीय इस्पात मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने मंगलवार को कहा कि सरकार इस क्षेत्र से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए काम कर रही है, जिसमें घटिया उत्पादों के आयात को लेकर चिंता भी शामिल है।
कुमारस्वामी ने उद्योग मंडल फिक्की द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन पर आयोजित एक सम्मेलन से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उद्योग ने सरकार के समक्ष कई मुद्दे उठाए हैं, खासकर घटिया इस्पात उत्पादों के आयात का..।
उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ मुद्दे हैं। उनका (इस्पात कंपनियां) कहना है कि कुछ देशों से घटिया सामग्री आयात की जा रही है। इससे निपटने के लिए हम काम कर रहे हैं।’’
भारत के दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक होने के बावजूद घरेलू कंपनियां चुनिंदा देशों से बढ़ते घटिया व सस्ते इस्पात आयात पर लगातार चिंता जताती रही हैं, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धी क्षमता प्रभावित हो रही है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में इस्पात आयात बढ़कर 83.2 लाख टन हो गया, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 60.2 लाख टन था।
देश का कच्चे इस्पात का उत्पादन वित्त वर्ष 2022-23 में सालाना आधार पर 12.72 करोड़ टन से बढ़कर 14.43 करोड़ टन हो गया।
बाजार के बार में सूचना देने वाली कंपनी ‘बिगमिंट’ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ध्रुव गोयल ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में सालाना आधार पर इस्पात आयात में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें सबसे अधिक चीन की हिस्सेदारी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यह उछाल मुख्य रूप से चीन में घरेलू मांग में कमी के कारण वहां से बढ़े हुए इस्पात निर्यात के कारण है। अनुमान है कि 2024 में चीन का निर्यात 10 करोड़ टन को पार कर जाएगा, जो आठ साल में सबसे अधिक होगा।’’
गोयल ने कहा कि इसके अलावा वियतनाम ने भारत को महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वियतनाम से निर्यात मुक्त व्यापार समझौते से लाभान्वित होता है, जो उन्हें आयात शुल्क से छूट देता है।
बिगमिंट के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर 2024-25 में भारत का इस्पात आयात 55.1 लाख टन था, जो एक साल पहले की समान अवधि में 36.6 लाख टन से अधिक है।
वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-सितंबर अवधि में चीन से आयात 10.2 लाख टन से बढ़कर इस साल समान अवधि में 18.5 लाख टन हो गया।
भाषा निहारिका