सरकार नवीकरणीय ऊर्जा घटकों के घरेलू विनिर्माण के लिए अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करेगी:जोशी
निहारिका मनीषा
- 19 Nov 2024, 11:40 AM
- Updated: 11:40 AM
(फाइल फोटो के साथ)
भुवनेश्वर, 19 नवंबर (भाषा) नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने विद्युत मंत्रालय के सहयोग से हरित ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए आवश्यक विभिन्न घटकों के स्वदेशी विनिर्माण के लिए अनुसंधान एवं विकास हेतु उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करने का निर्णय लिया है।
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी ने अगले छह वर्षों में 2030 तक 500 गीगावाट (जीडब्ल्यू) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते रणनीति बनाने के लिए यहां आयोजित ‘चिंतन शिविर’ को संबोधित करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही।
यह दो दिवसीय बैठक शुक्रवार को संपन्न हुई।
जोशी ने कहा कि ‘इलेक्ट्रोलाइजर’ विकसित करने के लिए आवश्यक 200 से अधिक पुर्जे या घटक (कुल पुर्जों का 50 प्रतिशत से अधिक) अन्य देशों से आयात किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए ऐसे घटकों के स्वदेशी विनिर्माण के लिए संयुक्त अनुसंधान एवं विकास करने हेतु एक उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित किया जाएगा।’’
‘इलेक्ट्रोलाइजर’ बिजली का इस्तेमाल कर पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करते हैं। यह नवीकरणीय या परमाणु बिजली से कम उत्सर्जन वाले हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी है।
जोशी ने बताया कि उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) ‘हैकथॉन’ का भी आयोजन करेगा और भारत को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप को पूर्ण समर्थन प्रदान करेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए विद्युत मंत्रालय, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, उद्योग जगत के लोग और महत्वपूर्ण हितधारकों को शामिल करते हुए एक समर्पित कार्यबल गठित करने का भी निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें इस विशाल लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले छह वर्षों में अक्षय ऊर्जा उत्पादन में 288 गीगावाट जोड़ना होगा। पिछले 10 वर्षों में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 22 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है, जबकि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छह वर्षों में 42 लाख करोड़ रुपये की और आवश्यकता है।’’
जोशी ने कहा कि कुछ राज्य पारेषण लाइन का काम पूरा होने के बाद भी बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं हैं और ग्राहक इसके लिए तैयार हैं।
दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान इन मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई।
ओडिशा के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य में ‘फ्लोटिंग सोलर प्लांट’ और ‘ग्रीन हाइड्रोजन हब’ स्थापित करने की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि गोपालपुर और पारादीप में दो हरित हाइड्रोजन केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है।
भाषा निहारिका