न्यायाधीशों से डिजिटल माध्यम से सुनवाई की अनुमति देने को कहा गया है: प्रधान न्यायाधीश खन्ना
सिम्मी नरेश
- 19 Nov 2024, 01:51 PM
- Updated: 01:51 PM
नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण के गंभीर स्तर को देखते हुए सभी न्यायाधीशों से जहां भी संभव हो, वहां डिजिटल माध्यम से सुनवाई की अनुमति देने को कहा गया है।
प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ जैसे ही बैठी, वैसे ही ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) के अध्यक्ष कपिल सिब्बल सहित वकीलों ने दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की बदतर होती स्थिति का जिक्र किया और इससे निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की मांग की।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमने सभी न्यायाधीशों से कहा है कि जहां भी संभव हो, वहां डिजिटल सुनवाई की अनुमति दी जाए।’’
हालांकि, प्रधान न्यायाधीश ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया कि शीर्ष अदालत को ऑनलाइन काम करना चाहिए और उसने दोहराया कि वकीलों के पास डिजिटल रूप से पेश होने का विकल्प है।
सिब्बल ने कहा कि इस संबंध में राष्ट्रीय राजधानी की अन्य अदालतों और न्यायाधिकरणों को संदेश भेजे जाने की जरूरत है, क्योंकि ‘‘प्रदूषण नियंत्रण से बाहर हो रहा है।’’
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और गोपाल शंकरनारायणन समेत कई वकीलों ने सिब्बल का समर्थन किया।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से शीर्ष अदालत को डिजिटल माध्यम से सुनवाई करनी चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जिस तरह से हम आज काम कर रहे हैं, अगर कोई ऑनलाइन रहकर काम करना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है।’’
शंकरनारायणन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में रोजाना करीब 10,000 वकील अपने निजी वाहनों से आते हैं। उन्होंने कहा कि वकीलों के क्लर्क भी अक्सर निजी वाहनों का इस्तेमाल करते हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम इसे (ऑनलाइन काम करने का विकल्प) संबंधित वकीलों पर छोड़ते हैं। हमने उन्हें यह सुविधा दी है कि आप जब भी डिजिटल माध्यम से पेश होना चाहें, आप ऐसा कर सकते हैं।’’
शंकरनारायणन ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप के चौथे चरण के तहत प्रतिबंध लागू हैं और शहर की अदालतों के लिए ऐसे कोई विशेष निर्देश नहीं हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आपके पास विकल्प है, आप उस विकल्प का इस्तेमाल करें। हम पहले ही ऐसा कह चुके हैं। हम सभी का ध्यान रखेंगे।’’
शीर्ष अदालत ने सोमवार को इस तथ्य पर संज्ञान लिया कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘अत्यधिक गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया है और उसने सभी दिल्ली-एनसीआर राज्यों को चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रैप) के चौथे चरण के तहत प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करने के लिए तुरंत टीम गठित करने का निर्देश दिया। उसने यह भी स्पष्ट किया कि अगले आदेश तक प्रतिबंध जारी रहेंगे।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, सोमवार सुबह आठ बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 484 रहा, जो इस मौसम का सबसे खराब स्तर है। कुछ इलाकों में एक्यूआई 500 के पार भी पहुंच गया।
न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के कारण सोमवार को एक परिपत्र जारी कर अपने कर्मचारियों को मास्क पहनने की सलाह दी।
शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंच जाने के बाद रविवार को शहर में चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) का चौथा चरण लागू करने की घोषणा की गई।
सहायक रजिस्ट्रार द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया, “सभी को मास्क पहनने और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।”
भाषा सिम्मी