स्पेस एक्स ने इसरो का 4,700 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रह अमेरिका से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया
सिम्मी मनीषा
- 19 Nov 2024, 03:44 PM
- Updated: 03:44 PM
(तस्वीरों के साथ जारी)
बेंगलुरु, 19 नवंबर (भाषा) अरबपति कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने देश के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-एन2 को अमेरिका के केप कैनवेरल से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने यह जानकारी दी।
एनएसआईएल ने बताया कि यह संचार उपग्रह पूरे भारतीय क्षेत्र में ब्रॉडबैंड सेवाओं और विमानों की उड़ान में कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा।
देश की अंतरिक्ष एजेंसी के शीर्ष वैज्ञानिकों और पूर्व प्रमुखों ने बताया कि चूंकि इस उपग्रह का वजन इसरो की वर्तमान प्रक्षेपण क्षमताओं से अधिक है इसलिए अंतरिक्ष एजेंसी को विदेशी प्रक्षेपण यान की मदद लेनी पड़ी।
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इस उपग्रह का वजन इसरो के प्रक्षेपण यानों की क्षमता से अधिक था, इसीलिए इसे (प्रक्षेपण के लिए) बाहर भेजा गया।’’
एनएसआईएल ने बताया कि फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए 4,700 किलोग्राम वजनी ‘जीसैट-एन2 हाई-थ्रूपुट’ (एचटीएस) उपग्रह को उसकी वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया गया है।
एनएसआईएल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘ एनएसआईएल के ‘जीसैट-एन2 हाई-थ्रूपुट’ (एचटीएस) संचार उपग्रह को 19 नवंबर 2024 को अमेरिका के केप कैनवेरल से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।’’
एनएसआईएल ने कहा, ‘‘4,700 किलोग्राम वजनी जीसैट-एन2 को वांछित भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित कर दिया गया है और इसरो की ‘मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी’ (एमसीएफ) ने उपग्रह का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि उपग्रह अच्छी स्थिति में है।’’
उसने बताया कि एनएसआईएल का दूसरा मांग आधारित उपग्रह ‘जीसैट-एन2’ एक ‘केए-बैंड हाई थ्रूपुट’ संचार उपग्रह है जो पूरे भारतीय क्षेत्र में ब्रॉडबैंड सेवाओं और विमानों की उड़ान में कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा। जीसैट-24 एनएसआईएल का पहला मांग आधारित उपग्रह था और इसे 23 जून, 2022 को फ्रांस में फ्रेंच गुयाना के कौरू से प्रक्षेपित किया गया था।
जीसैट-एन2 उपग्रह के मिशन की अवधि 14 वर्ष है और यह 32 उपयोगकर्ता बीम से लैस है, जिनमें पूर्वोत्तर क्षेत्र पर आठ संकीर्ण ‘स्पॉट बीम’ और शेष भारत पर 24 चौड़े ‘स्पॉट बीम’ शामिल हैं।
एनएसआईएल ने कहा, ‘‘इन 32 बीम को भारत की मुख्य भूमि में स्थित ‘हब स्टेशन’ से सपोर्ट दिया जाएगा।’’
इसरो ने हाल में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अपने अंतरिक्ष केंद्र से विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया लेकिन उसे अपने नवीनतम 4.7 टन वजनी उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए ‘स्पेसएक्स’ की मदद लेनी पड़ी क्योंकि उसके पास भारी पेलोड को ले जाने की सुविधा नहीं है।
सिवन ने बताया कि इसरो की क्षमता चार टन पेलोड ले जाने की है लेकिन जीसैट-एन2 का वजन 4.7 टन है।
सिवन ने कहा, ‘‘इसरो की क्षमताओं को बढ़ाने की योजनाएं हैं और इस संबंध में गतिविधियां जारी हैं।’’
उन्होंने बताया कि जीसैट-एन2 भारत को उच्च बैंड संचार सेवाएं प्रदान करेगा जिससे इसकी पहुंच देश के सुदूरतम भागों तक भी हो सकेगी।
इसरो के पूर्व प्रमुख जी. माधवन नायर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि भारत ने 4.7 टन वजनी उपग्रह को ले जाने के लिए बड़े प्रक्षेपण यान का विकल्प इसलिए चुना क्योंकि उसके पास ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसरो की योजना अगली पीढ़ी के यान की क्षमता को दोगुना करने की है लेकिन हम तब तक इंतजार नहीं कर सकते इसलिए उसने स्पेसएक्स का विकल्प चुना।’’
भाषा
सिम्मी