स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए अलग केंद्रीय कानून की आवश्यकता नहीं: एनटीएफ
जोहेब शफीक
- 18 Nov 2024, 08:08 PM
- Updated: 08:08 PM
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) ने कहा है कि स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए एक अलग केंद्रीय कानून की आवश्यकता नहीं है क्योंकि राज्यों के कानूनों में दिन-प्रतिदिन होने वाले छोटे-छोटे अपराधों से निपटने के लिए भी पर्याप्त प्रावधान हैं।
एनटीएफ ने कहा कि गंभीर अपराधों से संबंधित मामलों में भारतीय न्याय सहिंता (बीएनएस) के माध्यम से निपटा जा सकता है।
उच्चतम न्यायालय ने 20 अगस्त को एनटीएफ का गठन किया था, ताकि कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक से बलात्कार व हत्या की घटना के मद्देनजर स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक ‘प्रोटोकॉल’ तैयार किया जा सके।
केंद्र ने एनटीएफ की रिपोर्ट को उच्चतम न्यायालय में दायर हलफनामे के साथ प्रस्तुत किया है।
एनटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 24 राज्यों ने स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए पहले ही कानून बना रखे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दो और राज्य पहले ही इस संबंध में विधेयक पेश कर चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश राज्यों के कानूनों में छोटे अपराधों के संबंध में प्रावधान हैं और उनके लिए सजा निर्धारित हैं जबकि बड़े या जघन्य अपराधों के बारे में बीएनएस में पर्याप्त प्रावधान हैं।
एनटीएफ ने कहा, ‘‘राज्यों के कानूनों में दिन-प्रतिदिन के छोटे-छोटे अपराधों से निपटने के लिए भी पर्याप्त प्रावधान हैं और गंभीर अपराधों से बीएनएस के माध्यम से निपटा जा सकता है। इसलिए, स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए एक अलग केंद्रीय कानून की आवश्यकता नहीं है।’’
एनटीएफ ने कहा है कि जिन राज्यों में स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं है, वहां उनके खिलाफ हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए बीएनएस 2023 के प्रावधानों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
भाषा जोहेब