केदारनाथ विस उपचुनाव 20 को, चुनाव प्रचार बंद
दीप्ति नोमान
- 18 Nov 2024, 07:36 PM
- Updated: 07:36 PM
देहरादून, 18 नवंबर (भाषा) उत्तराखंड में केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए सोमवार शाम चुनाव प्रचार का शोर थम गया लेकिन उससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के नेताओं ने मतदाताओं को अपने पक्ष में लुभाने के लिए पूरा जोर लगा दिया।
उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार शाम को बंद हो गया।
विधानसभा सीट पर बुधवार को मतदान होगा जहां सत्ताधारी भाजपा की प्रत्याशी आशा नौटियाल और मुख्य विपक्षी कांग्रेस के मनोज रावत के बीच सीधा मुकाबला है । नौटियाल और रावत के अलावा चार अन्य उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं ।
केदारनाथ से भाजपा विधायक शैलारानी रावत के इस वर्ष जुलाई में निधन होने से यह सीट रिक्त हुई है ।
नौटियाल और रावत, दोनों ही प्रत्याशी केदारनाथ विधानसभा का पूर्व में भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं ।
वर्ष 2017 में केदारनाथ सीट से पहली बार विधायक बने 54 वर्षीय रावत को 2022 के विधानसभा चुनावों में तीसरे स्थान पर रहना पड़ा था। रावत ने पत्रकारिता के क्षेत्र से राजनीति में कदम रखा है।
नौटियाल दो बार- 2002 और 2007 में केदारनाथ सीट से विधायक रह चुकी हैं जबकि 2012 में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था । पचपन वर्षीय नौटियाल फिलहाल भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभा रही हैं ।
अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लिए 173 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि विधानसभा क्षेत्र में 90,540 मतदाता हैं जिसमें 45,775 महिला मतदाता शामिल हैं। उपचुनाव का नतीजा 23 नवंबर को घोषित होगा ।
यह उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है । लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 5-0 से पटखनी देने के बाद प्रदेश में हुए दो विधानसभा उपचुनाव-बदरीनाथ और मंगलौर में भाजपा को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
दूसरी तरफ, कांग्रेस नेता भी पिछले विधानसभा उपचुनावों में मिले विजयी प्रदर्शन को जारी रखने के लिए मतदाताओं के बीच सक्रिय नजर आए ।
एक पखवाड़े चले चुनाव प्रचार में जहां भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, प्रदेश पार्टी प्रभारी दुष्यंत गौतम, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने जनसभाएं और नुक्कड़ सभाएं कीं, वहीं कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल ने कमान संभाली।
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुप्तकाशी का दौरा किया और मतदाताओं से वादा किया कि आपसी राय मशविरे से केदारघाटी का विकास किया जाएगा ।
धामी ने कहा कि क्षेत्र के विकास में कोई कमी नहीं रहने दी जायेगी और राज्य सरकार अगले साल यात्रा शुरू होने से दो माह पहले पंडा पुरोहित, डोली, घोड़े खच्चर संचालक और लघु व्यापारियों के साथ चर्चा कर योजना बनाएगी।
उन्होंने कहा, “हर वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है तो संसाधन और सुविधाओं में भी इजाफा करना होगा। इसके लिए आपसी राय मशविरे से कार्य होगा।”
जनता से नौटियाल को जिताने का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पूर्व विधायक के तौर पर स्वयं अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर चुनाव में खड़ी हुई हैं और क्षेत्र के विकास के लिए समर्पित और कर्मठ नेता को एक बार फिर क्षेत्र से विधायक बनाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने 60 साल तक देश में राज किया लेकिन उनका कोई प्रधानमंत्री बाबा केदार के धाम में नहीं आया लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जो सात बार बाबा केदारनाथ के दर्शन करने आए ।
उन्होंने कहा कि बाबा केदारनाथ जी प्रधानमंत्री के दिल में बसते हैं और उनके नेतृत्व में दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के पुनर्निर्माण और विकास कार्य केदारनाथ धाम में चल रहे हैं ।
धामी ने कहा कि कांग्रेस के समय में केदारनाथ आने वालों की संख्या लगातार घटती जा रही थी लेकिन अब भाजपा की ‘डबल इंजन’ की सरकार के कार्यकाल में यह निरंतर बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि इस साल 16 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने केदारनाथ की यात्रा की है।
उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा के संचालन को और व्यवस्थित करने के लिए जल्द ही यात्रा प्राधिकरण बनाया जाएगा ।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनसांख्किीय में बदलाव को लेकर कांग्रेस की आलोचना करते हुए दावा किया कि कांग्रेस ने उत्तराखंड में ‘लैंड जिहाद’ किया, मजार बनाने वालों को आगे बढ़ाया और उनके नेता हरीश रावत घुसपैठियों को बसाने की बात करते हैं।
भाषा दीप्ति