दिल्ली में दमघोंटू हवा, चिकित्सकों ने सभी के लिए स्वास्थ्य चेतावनी दी
धीरज रंजन
- 18 Nov 2024, 07:21 PM
- Updated: 07:21 PM
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) दिल्ली की वायु गुणवत्ता सोमवार को ‘अति गंभीर’ श्रेणी को पार कर इस मौसम के सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई। इसके मद्देनजर चिकित्सकों ने इसके स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में चिंता जताई है और आगाह किया है कि जहरीली हवा न केवल स्वास्थ्य के लिहाज से कमजोर समूहों को बल्कि स्वस्थ व्यक्तियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
चिकित्सकों ने लोगों को बाहरी गतिविधियों को सीमित करने, शरीर में पर्याप्त तरल पदार्थ सुनिश्चित करने और घर के अंदर ठोस कण के स्तर को कम करने के लिए एचईपीए फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने की सलाह दी है।
उन्होंने सलाह दी है कि पहले से ही फेफड़े या हृदय संबंधी समस्या का सामना कर रहे लोग सतर्क रहें और अपनी दवाएं लेते रहें।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता सोमवार को बहुत अधिक खराब हो गई और द्वारका, मुंडका तथा नजफगढ़ जैसे क्षेत्रों में दोपहर के समय अधिकतम वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 दर्ज किया गया।
राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की घनी चादर छाने से लोगों ने खुजली और आंखों से पानी आने की शिकायत की। सोमवार को सुबह आठ बजे यहां का एक्यूआई 484 दर्ज किया गया। एक्यूआई इस मौसम में अब तक के सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दोपहर दो बजे तक एक्यूआई 491 दर्ज किया गया।
गुरु तेग बहादुर अस्पताल में सामुदायिक चिकित्सा के रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. रजत शर्मा ने कहा, ‘‘प्रदूषण के इस स्तर पर, एन95 मास्क पहनना एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है। यहां तक कि स्वस्थ व्यक्ति भी श्वसन संबंधी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि सर्जिकल मास्क या कपड़े के मास्क के विपरीत एन 95 मास्क बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं क्योंकि सर्जिकल या कपड़े के मास्क अक्सर चेहरे पर फिट नहीं आते और पर्याप्त मात्रा में कणों को रोक नहीं सकते।
शर्मा ने कहा, ‘‘हम वायु प्रदूषण के जिस अति गंभीर स्तर का सामना कर रहे हैं, उसके लिए तत्काल सुरक्षात्मक उपाय करने की आवश्यकता है। इसलिए मास्क पहनना एक अनिवार्य जरूरत है। अब केवल संवेदनशील लोगों को ही नहीं बल्कि स्वस्थ व्यक्तियों को भी समान रूप से खतरा है।’’
सर गंगा राम अस्पताल के छाती चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. उज्ज्वल पारख ने कहा कि लोगों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘सभी को यथासंभव बाहरी गतिविधियों से बचना चाहिए तथा यदि बाहर जाना ही पड़े तो वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।’’
उन्होंने खिड़कियां और दरवाजे बंद रखने तथा एचईपीए फिल्टर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने की सलाह दी।
डॉ. पारख ने कहा, ‘‘शरीर में जल की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करने के लिए तरल पदार्थ पीना भी महत्वपूर्ण है। फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और अपनी दवाएं नियमित रूप से लेनी चाहिए।’’
डॉ.पारख ने अत्याधिक प्रदूषण से बचने में मास्क की सीमा को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि एन95 और एन99 मास्क ठोस कण (पीएम 2.5 और पीएम 10) के रोकने में तो प्रभावी हैं, लेकिन वे ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड या वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) जैसी हानिकारक गैसों को फिल्टर नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने मास्क को नियमित तौर पर बदलने की सलाह दी और कहा कि लंबे समय तक मास्क के इस्तेमाल करने से उसके फिल्टर करने की क्षमता कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि मास्क चेहरे पर ठीक से फिट हो और उसमें कोई रिसाव न हो, क्योंकि अगर मास्क ठीक से फिट न हो तो इसका प्रभाव कम होगा।
डॉ. पारख ने कहा कि एक्यूआई का स्तर इतना अधिक होने पर, जहरीली हवा के संपर्क में आने से गंभीर श्वसन समस्याएं, हृदय संबंधी समस्याएं और यहां तक कि दीर्घकालिक जटिलताएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
विशेषज्ञ खराब होती वायु गुणवत्ता के लिए हवा की मंद गति, उच्च स्थानीय उत्सर्जन और पराली जलाने को जिम्मेदार मानते हैं।
दिल्लीवासियों ने घर के अंदर भी खुश्की, आंखों में खुजली और सांस लेने में परेशानी की शिकायत की है।
दिलशाद गार्डन निवासी रवि कुमार ने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से उनकी आंखों में खुजली हो रही है और सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है।
भाषा धीरज