बदलापुर मुठभेड़ की जांच पर अदालत ने सीआईडी को फटकार लगाई
प्रशांत रंजन
- 18 Nov 2024, 07:00 PM
- Updated: 07:00 PM
मुंबई, 18 नवंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी की 23 सितंबर को कथित पुलिस मुठभेड़ में हुई हत्या की जांच में लापरवाही बरतने के लिए महाराष्ट्र सीआईडी को कड़ी फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि मामले की जांच को हल्के में लिया गया है और इसमें कई खामियां हैं।
अदालत ने मृतक अक्षय शिंदे के हाथों पर गोली के निशान न होने तथा उसे दी गई पानी की बोतल पर उंगलियों के निशान न होने पर भी सवाल उठाया और इन्हें “असामान्य” बताया।
अदालत ने मामले की जांच कर रहे मजिस्ट्रेट को सौंपी जाने वाली सामग्री एकत्र करने में देरी के लिए अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) की आलोचना की। कानून के तहत हिरासत में हुई मौतों के मामलों में मजिस्ट्रेट जांच अनिवार्य है।
पीठ ने कहा, “हमारा प्रयास सच का पता लगाना है। हमारी कोशिश यह सुनिश्चित करना है कि हर सामग्री एकत्रित करके मजिस्ट्रेट के सामने रखी जाए और जांच सही ढंग से आगे बढ़े। हम निष्पक्ष जांच चाहते हैं।”
उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि अदालत को यह देखना होगा कि जांच सही ढंग से की जाए और यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो सवाल उठता है कि ऐसा क्यों नहीं किया गया।
अदालत ने कहा कि यदि मजिस्ट्रेट के समक्ष सारी सामग्री प्रस्तुत नहीं की गई तो रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत नहीं की जा सकेगी।
पीठ ने पूछा, “आप (सीआईडी) मजिस्ट्रेट को ब्यौरा न देकर प्रक्रिया में देरी क्यों कर रहे हैं? आप अब भी बयान दर्ज कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि कानून के अनुसार मजिस्ट्रेट को सारी जानकारी दी जाए। रिपोर्ट आज आनी थी और पुलिस अब भी बयान दर्ज कर रही है।”
अदालत ने कहा, “देखिए किस तरह से जांच को हल्के में लिया गया है। मजिस्ट्रेट सिर्फ यह देखेगा कि मौत हिरासत में हुई है या नहीं। अगर पुलिस उचित सामग्री ही पेश नहीं करेगी तो मजिस्ट्रेट अपना काम कैसे करेगा?”
पीठ ने राज्य सीआईडी की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ से पूछा कि जांच में खामियों को सही ठहराने के लिए वह कब तक और किस हद तक जाएंगे।
अदालत ने कहा, “जांच किस तरह से की जा रही है, यह देखने और कहने के लिए किसी विशेषज्ञ की जरूरत नहीं है।”
अदालत ने सीआईडी को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करे कि मामले की जांच दो सप्ताह में पूरी हो जाए और सभी प्रासंगिक सामग्री मजिस्ट्रेट को सौंप दी जाए।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई दो दिसंबर को तय की है।
भाषा प्रशांत