मणिपुर में एनपीपी ने भाजपा नीत सरकार से समर्थन वापस लिया
राजकुमार सुभाष
- 17 Nov 2024, 10:07 PM
- Updated: 10:07 PM
शिलांग/इंफाल, 17 नवंबर (भाषा) नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने रविवार को यह दावा करते हुए हिंसा प्रभावित मणिपुर की भाजपा नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया कि एन बीरेन सिंह शासन इस पूर्वोत्तर राज्य में ‘‘संकट का समाधान करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से नाकाम’’ रहा है।
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीपी के सात विधायक हैं और समर्थन वापसी से सरकार के स्थायित्व पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि भाजपा के पास अपने 32 विधायकों के साथ सदन में पूर्ण बहुमत है।
भाजपा को नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के पांच और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के छह विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है।
एनपीपी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे पत्र में दावा किया कि पिछले कुछ दिनों में मणिपुर में स्थिति और बिगड़ गई है, कई निर्दोष लोगों की जान गई है तथा राज्य के लोग ‘‘अत्यधिक पीड़ा’’ से गुजर रहे हैं।
हिंसक विरोध प्रदर्शन की ताजा घटनाएं शनिवार रात को हुईं। जिरीबाम जिले में उग्रवादियों द्वारा तीन महिलाओं और तीन बच्चों की हत्या कर दिये जाने से आक्रोशित लोगों ने 16 नवंबर को राज्य के तीन मंत्रियों और छह विधायकों के आवासों पर हमला किया था। उसके बाद अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि भीड़ ने इंफाल घाटी के विभिन्न जिलों में एक वरिष्ठ मंत्री समेत तीन और भाजपा विधायकों तथा एक कांग्रेस विधायक के आवास में आग लगा दी, जबकि सुरक्षा बलों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पैतृक घर पर प्रदर्शनकारियों की हमले की कोशिश को विफल कर दिया।
एनपीपी ने पत्र में कहा, ‘‘हम महसूस करते हैं कि बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार संकट का समाधान करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है।’’
पार्टी ने कहा, ‘‘वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर में बीरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस लेने का निर्णय लिया है।’’
इससे पहले, कुकी पीपुल्स पार्टी (केपीए) ने जातीय हिंसा के मद्देनजर राज्य की भाजपा नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। केपीए का गठन मणिपुर में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हुआ था।
विधानसभा में वर्तमान में, कांग्रेस के तीन विधायक हैं तथा तीन निर्दलीय विधायक भी हैं।
पिछले साल मई से इंफाल के मेइती और समीपवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों के कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं।
भाषा
राजकुमार