जिम्मेदार एआई: शोधकर्ताओं ने डेटासेट की 'जिम्मेदारी' का आकलन करने के लिए रूपरेखा तैयार की
रवि कांत रवि कांत सुभाष
- 17 Nov 2024, 08:55 PM
- Updated: 08:55 PM
(कृष्णा)
नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के परिणामों में पूर्वाग्रह के बारे में चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से आईआईटी-जोधपुर के शोधकर्ताओं ने भारतीय परिवेश में ‘एल्गोरिदम’ में उपयोग के लिए 'निष्पक्षता, गोपनीयता और नियामक' पैमाने पर 'डेटासेट' की गणना करने के उ्देश्य से एक रूपरेखा तैयार की है।
गणितीय समीकरणों को हल करने के लिए कुछ निर्धारित नियमों को ‘एल्गोरिदम’ कहा जाता है।
एआई विशेषज्ञों ने एआई-प्रणालियों के विकास में पश्चिमी डेटासेट के उपयोग पर लगातार चिंता व्यक्त की है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर के प्रोफेसर और इस रूपरेखा का वर्णन करने वाले शोधपत्र के लेखक मयंक वत्स ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘यदि मुझे विशेष रूप से भारत के लिए ‘चेहरा पहचान प्रणाली’ बनानी हो, तो मैं केवल पश्चिमी देशों में विकसित डेटासेट पर निर्भर रहने के बजाय, यहां के लोगों के चेहरे की विशेषताओं और त्वचा के रंग की अद्वितीय विविधता को दर्शाने वाले डेटासेट के उपयोग को प्राथमिकता दूंगा।’’
प्रोफेसर मयंक वत्स ने कहा, ‘‘पश्चिमी डेटासेट में भारतीय जनसांख्यिकी की बारीकियों को सटीक रूप से ग्रहण करने के लिए आवश्यक विशेषताओं का अभाव हो सकता है। ’’
डेटासेट, जो डेटा या सूचना का एक संग्रह है, जिसका उपयोग एआई-आधारित एल्गोरिदम को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है, जिसे डेटा में पैटर्न का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब हम एक जिम्मेदार एआई-आधारित प्रणाली या समाधान के निर्माण की बात करते हैं, तो इसके डिजाइन में पहला कदम यह पता लगाना होता है कि किस डेटासेट का उपयोग किया जाना है। यदि डेटासेट में समस्याएं हैं, तो यह उम्मीद करना अवास्तविक है कि एआई-मॉडल स्वचालित रूप से उन सीमाओं को पार कर लेगा।’’
इस अध्ययन की सिफारिशों में विविध जनसंख्या से संवेदनशील पहलुओं जैसे लैंगिक और जाति आदि से संबंधित डेटा एकत्र करना शामिल था, तथा यह डेटा इस प्रकार प्रदान किया गया कि व्यक्तियों की गोपनीयता सुरक्षित रहे।
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह ढांचा, जो यह भी आकलन करता है कि क्या किसी व्यक्ति का व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित है, संभवतः 'जिम्मेदार डेटासेट' बनाने में सहायता कर सकता है और यह एआई के नैतिक मुद्दों को कम करने की दिशा में एक प्रयास है।
'जिम्मेदार एआई' की अवधारणा की परिकल्पना 1940 के दशक में की गई थी और यह मानव समाज द्वारा परिभाषित नियमों और नैतिकता का पालन करने वाली मशीनों पर केंद्रित थी।
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