ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम मामले में चर्चा के लिये सभी हितधारकों की बैठक बुलाएं मुख्य सचिव: न्यायालय
नोमान रंजन
- 17 Nov 2024, 04:42 PM
- Updated: 04:42 PM
नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 को लागू करने में एजेंसियों की “पूर्ण विफलता” को रेखांकित करते हुए दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सभी हितधारकों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया है।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह अत्यंत अहम है कि 2016 के नियमों को राजधानी में उनकी सही भावना के साथ लागू किया जाए।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने 11 नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा, “यदि हम पाते हैं कि अन्य सभी प्राधिकारी एक साथ नहीं आते हैं और हमें 2016 के नियमों के कार्यान्वयन के लिए समय नहीं बताते हैं, तो अदालत को कठोर आदेश पारित करने पर विचार करना पड़ सकता है।”
पीठ ने कहा, “हम दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश देते हैं कि वह 2016 के नियमों के कार्यान्वयन के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सहित सभी हितधारकों की बैठक बुलाएं।“
इसने कहा कि सभी हितधारकों को एक साथ आना चाहिए और न्यायालय के समक्ष एक साझा रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए, जिसमें 2016 के नियमों के प्रावधानों के अनुपालन को लागू करने की समय-सीमा के बारे में जानकारी हो।
अदालत ने कहा कि बैठक आयोजित करने और साझा जवाब देने की प्रक्रिया 13 दिसंबर तक पूरी कर ली जाए।
पीठ ने कहा, “जैसा कि हम अन्य मामलों में भी देख रहे हैं, 2016 के नियम कागजों तक ही सीमित रह गए हैं। यदि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 2016 के नियमों को लागू करने में पूरी तरह विफल रहा है, तो कोई कल्पना कर सकता है कि देश के अन्य भागों के शहरों में क्या हो रहा होगा।”
इसने कहा कि एक ओर, 2016 के नियमों का कार्यान्वयन नहीं करने से कचरा या ठोस अपशिष्ट को अवैध रूप से ‘लैंडफिल’ स्थलों पर डाला जा रहा है, जिनमें आग लगने का खतरा रहता है। वहीं, दूसरी ओर, बड़ी संख्या में निर्माण गतिविधियां की जा रही है, जिससे ठोस और निर्माण अपशिष्ट उत्पन्न हो रहा है।
इसमें कहा गया है, “दिल्ली सरकार को रिपोर्ट पेश करते समय शहर में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे के आंकड़े भी पेश करने चाहिए।”
दिल्ली-एनसीआर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का मुद्दा उच्चतम न्यायालय के समक्ष उठा है, जो राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा है।
एमसीडी ने 18 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय को बताया था कि वह राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 11,000 टन ठोस अपशिष्ट के निपटारे की अपनी क्षमता को 2026 तक पार कर लेगा।
भाषा नोमान