शांति समझौते के बाद बोडोलैंड ने विकास की नई लहर देखी: प्रधानमंत्री मोदी
ब्रजेन्द्र सुरेश
- 15 Nov 2024, 10:46 PM
- Updated: 10:46 PM
नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2020 के ऐतिहासिक शांति समझौते के बाद हिंसा त्यागकर शांति की राह अपनाने के लिए बोडो समुदाय के लोगों की शुक्रवार को प्रशंसा की और कहा कि असम के कुछ हिस्सों में जंगल जो कभी 'छिपने के ठिकाने' के रूप में इस्तेमाल हुआ करते थे, अब युवाओं की 'उच्च महत्वाकांक्षाओं' को पूरा करने का माध्यम बन रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने राजधानी दिल्ली स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण इंदिरा गांधी खेल परिसर में आयोजित दो-दिवसीय प्रथम बोडोलैंड महोत्सव के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद क्षेत्र में 'विकास की नई लहर' आई है और सरकार पूर्वोत्तर में स्थायी शांति लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
मोदी ने कहा कि कई पीढ़ियों तक हिंसा की आग में जलने के बाद बोडो समुदाय कई दशकों के बाद एक त्योहार मना रहा है।
प्रधानमंत्री ने बड़ी संख्या में मौजूद बोडो समुदाय के लोगों से कहा, ''आपने नया इतिहास रचा है।"
यह उल्लेख करते हुए कि विकास का सूर्य 'विकसित भारत' के संकल्प को नयी ऊर्जा देने के लिए पूर्व से उदय होगा, प्रधानमंत्री ने कहा कि बोडो शांति समझौते ने न केवल समुदाय को लाभ पहुंचाया है, बल्कि क्षेत्र में कई अन्य समुदायों के लिए भी नए रास्ते खोले हैं।
उन्होंने कहा कि बोडो समुदाय के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव रखी जा चुकी है।
मोदी ने बोडोलैंड में हुई हिंसा को याद करते हुए कहा, "बोडोलैंड में विकास के प्रभाव को देखकर मेरा मन संतुष्ट है।"
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2020 में बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इस शांति समझौते ने बोडोलैंड में दशकों से चले आ रहे संघर्ष और हिंसा को समाप्त किया।
साल 2020 की शुरुआत में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी), ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन आदि के गुटों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद काउंसिल के दायरे और शक्ति को बढ़ाने तथा इसके कामकाज को कारगर बनाने की मांग की गई थी।
इसमें बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिलों (बीटीएडी) के बाहर रहने वाले बोडो लोगों से संबंधित मुद्दों को हल करना और बोडो समुदाय की सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई और जातीय पहचान को बढ़ावा देना तथा उसकी रक्षा करना भी शामिल था।
मोदी ने बोडो शांति समझौते की सराहना करते हुए कहा, ''आपने पूरे पूर्वोत्तर को शांति की रोशनी से रोशन करते हुए इसे (समझौते को) कागज से जमीनी स्तर तक पहुंचा दिया है।"
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जो हाथ पहले बंदूकें थामा करते थे, वे अब बोडोलैंड में खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "एक समय था जब मानस नेशनल पार्क और रायमोना नेशनल पार्क के घने जंगल अन्य गतिविधियों के लिए एक जगह बन गए थे। मुझे खुशी है कि जंगल जो पहले छिपने के ठिकाने के रूप में उपयोग किए जाते थे, अब युवाओं की उच्च महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का माध्यम बन रहे हैं।"
इस कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में बोडोलैंड क्षेत्र के कलाकारों द्वारा लोक नृत्य भी प्रस्तुत किया गया।
भारत के उत्तर-पूर्व के क्षेत्र के लिए यह दो-दिवसीय महोत्सव भाषा, साहित्य और संस्कृति पर आधारित बड़ा आयोजन है। इसका उद्देश्य न केवल बोडोलैंड में बल्कि असम, पश्चिम बंगाल, नेपाल और पूर्वोत्तर के अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले स्वदेशी बोडो लोगों को एकीकृत करना है।
महोत्सव का विषय ‘समृद्ध भारत के लिए शांति और सद्भाव’ है। महोत्सव के माध्यम से बोडोलैंड की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत, पारिस्थितिक जैव विविधता और पर्यटन का लाभ उठाया जाएगा।
इस कार्यक्रम में बोडोलैंड क्षेत्र, असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और भारत के अन्य हिस्सों से 5,000 से अधिक सांस्कृतिक, भाषाई और कला प्रेमी शामिल हैं।
भाषा ब्रजेन्द्र