प्रतिष्ठित स्कूल की चारदीवारी के अंदर स्थित मजार ढहाई गयी
दीप्ति राजकुमार
- 15 Nov 2024, 07:01 PM
- Updated: 07:01 PM
देहरादून (उत्तराखंड), 15 नवंबर (भाषा) देहरादून के एक प्रसिद्ध आवासीय विद्यालय के अंदर स्थित एक 'मजार' को दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों द्वारा कड़ा विरोध किये जाने के बाद ढहा दिया गया। ये संगठन एक शैक्षणिक संस्थान की चारदीवारी के अंदर मजार की मौजूदगी का विरोध कर रहे थे।
यह संरचना प्रतिष्ठित 'द दून स्कूल' के अंदर थी जिसके पूर्व छात्रों में अनेक गणमान्य व्यक्ति और राजनीतिक नेता जैसे दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, उनके पुत्र राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री ज्योर्तिादित्य सिंधिया, उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, प्रसिद्ध लेखक अमिताव घोष और विक्रम सेठ शामिल हैं।
'द दून स्कूल' ब्रिटिश राज के समय से लड़कों के लिए सर्वाधिक प्रतिष्ठित निजी आवासीय स्कूलों में से एक रहा है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में चार-पांच व्यक्ति स्कूल परिसर में स्थित मजार को हथौड़ों से तोड़ते दिखाई दे रहे हैं।
देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने शुक्रवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि यह घटना दो दिन पहले हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इसके ध्वस्तीकरण के कोई आदेश नहीं दिए थे। हांलांकि, हमने मजार से संबंधित तथ्यों के सत्यापन के लिए उपजिलाधिकारी समेत एक टीम मौके पर भेजी थी और यह सुनिश्चित किया कि कानून और व्यवस्था बनी रहे।’’
बंसल ने यह भी कहा कि उन्होंने अपनी टीम से इस प्रकरण पर एक रिपोर्ट भी मांगी है।
हांलांकि, दक्षिणपंथी हिंदू नेता स्वामी दर्शन भारती ने कहा कि उन्होंने हाल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अधिकारियों से मुलाकात की थी एवं उनसे प्रतिष्ठित स्कूल के भीतर स्थित मजार को ढहाने का अनुरोध किया था।
'उत्तराखंड रक्षा अभियान’ नामक संगठन चलाने वाले भारती ने कहा, ‘‘जिसने भी यह किया हो, मैं मजार ढहाए जाने का स्वागत करता हूं। स्कूल के अंदर मजार क्यों होनी चाहिए और वह भी पूरे देश में विख्यात 'द दून स्कूल' के अंदर। यह दिखाता है कि राज्य के अंदर पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में भूमि जिहाद किस सीमा तक पहुंच गया।’’
सूत्रों के अनुसार, मजार पुरानी थी और स्कूल के अधिकारियों ने हाल में इसकी मरम्मत करवाई थी ।
प्रदेश की धामी सरकार ने 2022 से भूमि जिहाद या मजार के नाम पर सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ जबरदस्त अभियान शुरू किया था जिसके तहत अब तक 5000 एकड़ सरकारी भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गयी है।
बताया जा रहा है कि दून स्कूल का वह हिस्सा, जहां मजार बनी थी, एक समय में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की संपत्ति हुआ करता था ।
वक्फ बोर्ड के एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने का अनुरोध करते हुए बताया, ‘‘हमारे रिकार्ड के हिसाब से उस क्षेत्र में 57 एकड़ भूमि हमारी थी लेकिन वर्तमान में उसकी स्थिति के बारे में कुछ पता नहीं है।’’
उन्होंने बताया कि वक्फ बोर्ड के पास अब भी ‘द दून स्कूल’ से लगी हुई काफी भूमि है।
इस बारे में संपर्क किये जाने पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि उन्हें दून स्कूल के अंदर स्थित मजार के ध्वस्तीकरण के बारे में जानकारी थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या यह भूमि वक्फ बोर्ड की है, उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा विस्तृत जांच के बाद ही यह पता चल सकता है ।
भाषा दीप्ति