महायुति महाराष्ट्र में खराब रिपोर्ट कार्ड को ‘बंटोगे तो कटोगे’ के नारे से छिपा रही है: पायलट
प्रशांत माधव
- 15 Nov 2024, 06:17 PM
- Updated: 06:17 PM
(आदित्य वाघमारे)
छत्रपति संभाजीनगर, 15 नवंबर (भाषा) कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा और सत्तारूढ़ महायुति में उसके सहयोगियों के पास महाराष्ट्र में अपने रिपोर्ट कार्ड में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है, यही वजह है कि वे “बंटोगे तो काटोगे” जैसे जुमले का इस्तेमाल कर रहे हैं।
‘पीटीआई वीडियो’ के साथ एक साक्षात्कार में पायलट ने भारतीय जनता पार्टी की “विभाजनकारी” बयानबाजी का मुकाबला करने के लिए “पढ़ोगे तो बढ़ोगे” का अपना नारा दिया।
राज्य में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मराठवाड़ा में पार्टी के प्रचार अभियान की जिम्मेदारी संभाल रहे कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने पाया है कि महा विकास आघाडी (एमवीए) का घोषणापत्र और इसकी पांच गारंटी सत्तारूढ़ गठबंधन के चुनाव पूर्व वादों से कहीं बेहतर हैं।
कांग्रेस, शिवसेना (उबाठा) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) वाले एमवीए ने जाति आधारित जनगणना कराने और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाने, महिलाओं को हर महीने 3,000 रुपये की वित्तीय सहायता और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा और कृषि ऋण माफ करने और किसानों को 25 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर प्रदान करने का वादा किया है।
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र के लोग उसी तरह से मतदान करना चाहते हैं जैसे उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान किया था, जब एमवीए ने भाजपा, शिवसेना और राकांपा से मिलकर बनी महायुति को मात दी थी।
उन्होंने कहा, “लोगों ने यहां (महाराष्ट्र में) इस सरकार को और केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार को देखा है। आखिरकार, यह शासन, नौकरी, सुरक्षा और सरकार के पारदर्शी कामकाज के बारे में है। वे सभी चीजें गायब हैं। हम एक सकारात्मक एजेंडे के साथ आगे आए हैं। एमवीए और कांग्रेस ने एक खाका तैयार किया है, जो समग्र, भविष्योन्मुखी और सकारात्मक है।”
भाजपा के नारे, “बंटोगे तो काटोगे” की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, “यह बयानबाजी तब की जाती है जब आप (सत्तारूढ़ दल) खराब प्रदर्शन करते हैं या आपके पास दिखाने के लिए कोई रिपोर्ट कार्ड नहीं होता। मैं इसका जवाब यह कहकर देता हूं, ‘पढ़ोगे तो बढ़ोगे’।”
इस पीढ़ी के मतदाता डर पैदा करने, लोगों का ध्रुवीकरण करने और मस्जिद-मंदिर के नाम पर वोट हासिल करने की राजनीति को पसंद नहीं करेंगे।
पायलट ने कहा कि वह शांति, सद्भाव और विकास जैसे मुद्दों पर भाजपा नेताओं के साथ बहस करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, “लोगों के मन में डर पैदा करना यह दर्शाता है कि आप (भाजपा) अच्छी स्थिति में नहीं हैं और मुझे लगता है कि केवल भाजपा नेता ही नहीं, बल्कि कोई भी सही सोच वाला व्यक्ति ऐसी टिप्पणियों की सराहना नहीं करेगा।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल सम्राट औरंगजेब जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों का चुनाव अभियानों में इस्तेमाल करना विचार, साहस और प्रदर्शन की कमी को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, “जब आप भारत और मुंबई में 10 साल तक सत्ता में थे तो आपका (भाजपा और महायुति) प्रदर्शन कैसा था? उन्हें अपने रिपोर्ट कार्ड के आधार पर चुनाव लड़ने से किसने रोका? कार्यकाल के अंत में, उन्होंने योजनाओं की घोषणा करनी शुरू कर दी। वे सालों और महीनों तक क्यों सो रहे थे?”
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि संप्रग सरकार (2004 से 2014) को कभी यह स्पष्ट करने की जरूरत नहीं पड़ी कि वह संविधान में बदलाव नहीं करेगी, लेकिन राजग सरकार को यह करना पड़ रहा है, क्योंकि वे ऐसा करना चाहते हैं।
उन्होंने मराठा आरक्षण मुद्दे पर कहा कि कोई भी समुदाय जो पीड़ित है, उसे कानून की मांग करने का अधिकार है।
इसलिए कांग्रेस ने उचित सर्वेक्षण की वकालत की है। उन्होंने कहा कि जब तक मांगों को उचित ठहराने के लिए वैज्ञानिक रूप से सिद्ध आंकड़े नहीं होंगे, तब तक बजट का आवंटन और कोटा कैसे दिया जा सकता है।
पायलट ने कहा, “भाजपा समुदायों और धर्मों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं को निशाना बनाने के लिए आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और पुलिस सहित हर एजेंसी का इस्तेमाल किया है, जो दुरुपयोग है। उन्होंने अपने सहयोगियों और साझेदारों की ओर से आंखें मूंद लीं, लेकिन उन्होंने दो मुख्यमंत्रियों को जेल में डाल दिया और विपक्ष के लगभग सभी लोगों पर हमला किया।”
अर्थव्यवस्था पर ‘मुफ्त सुविधाओं’ के बोझ के बारे में उन्होंने कहा, “हर सरकार को वंचितों की मदद के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाने होते हैं। अगर यह सही लोगों तक पहुंच रहा है और उनकी गरीबी दूर कर रहा है, तो यह स्वीकार्य है। लेकिन अगर यह वोट पाने के एकमात्र उद्देश्य के साथ किया जाता है, तो हम सहमत नहीं होंगे। अगर कोई दीर्घकालिक एजेंडा है और आपके पास संसाधन प्रबंधन क्षमता है, तो यह किया जा सकता है।”
भाषा प्रशांत