कृषक समुदाय को बांटने की कोशिश करने वालों के नापाक इरादे कभी सफल नहीं होंगे: धनखड़
वैभव रंजन
- 14 Nov 2024, 09:22 PM
- Updated: 09:22 PM
जयपुर, 14 नवंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रवाद के लिए किसानों की एकता महत्वपूर्ण है और कृषक समुदाय को बांटने की कोशिश करने वालों के नापाक इरादे कभी सफल नहीं होंगे।
राजस्थान के पुष्कर में 105वें ‘नेशनल जाट कन्वेंशन’ को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि किसानों की समस्याओं का समाधान होना चाहिए और एक साथ बैठकर और बातचीत करके यह किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रवाद के लिए किसान समुदाय की एकता बहुत जरूरी है। किसान राष्ट्र का प्रतीक हैं। जब भी देश में कोई संकट आएगा, किसान उसे अपने सीने पर झेलेगा।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि कुछ समस्याएं हैं, उनका समाधान होना चाहिए। इसमें देरी हुई है, लेकिन इसका समाधान किया जा सकता है। मेरे दरवाजे हमेशा खुले हैं। हम मिल-बैठकर बात करेंगे और समाधान निकालेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसान समुदाय को बांटने की कोशिश करने वालों के नापाक इरादे कभी कामयाब नहीं होंगे। किसानों को जातियों में बांटने की, एक वर्ग विशेष को अलग करने की साजिश चल रही है और मैं खुलकर कहूंगा कि जाटों को अलग करने की साजिश चल रही है।’’
उपराष्ट्रपति ने जाट समुदाय को कृषि क्षेत्र का अहम हिस्सा बताया।
कृषक समुदाय के प्रति आभार जताते हुए धनखड़ ने कहा, ‘‘किसानों के लिए मेरे दरवाजे 24 घंटे खुले हैं। जिस समुदाय ने मुझे इस पद पर भेजा है, मैं उस समुदाय का प्रथम सेवक हूं। मैं समुदाय की पूजा करने में कभी पीछे नहीं हटूंगा, और मेरा संकल्प है कि किसान समुदाय को विभाजित करने की नापाक साजिशें कभी सफल नहीं होंगी।’’
उपराष्ट्रपति ने वीर तेजाजी, महाराजा सूरजमल, राजा महेंद्र प्रताप और श्रद्धेय नाथूराम मिर्धा की विरासतों का उल्लेख करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से आने वाली पीढ़ियों में नैतिक मूल्यों का निर्माण करने और उन्हें सही रास्ता दिखाने का आग्रह किया।
उन्होंने परिवार, पर्यावरण की देखभाल और अपने कर्तव्यों को पूरा करने के महत्व पर भी जोर दिया।
धनखड़ ने किसानों से कृषि उत्पादों के विपणन और व्यापार में अपनी भागीदारी बढ़ाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘किसान बड़ी मुश्किल से उत्पादन करते हैं। वे (किसान) व्यापार का हिस्सा क्यों न बनें? मेरा अनुरोध है कि किसान आपस में मिल-बैठकर विचार-विमर्श करें और जो अपार संपदा वे पैदा करते हैं, उससे संबंधित व्यापार में शामिल हों। यह बहुत बड़ा व्यापार है।’’
उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े कारखाने चल रहे हैं, चाहे वो तेल के हों या कपड़े के, सभी किसानों की उपज से चलते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘किसानों को सोचना चाहिए कि अंग्रेजी में 'वैल्यू एडिशन' क्या कहलाता है। सरकार की नीतियां सकारात्मक हैं, ताकि किसान सार्थक तरीके से इन चीजों में मूल्यवर्धन कर सकें।’’
पुष्कर में उपराष्ट्रपति ने ब्रह्मा मंदिर और जाट शिव मंदिर का भी दौरा किया और वीर तेजा और नाथूराम मिर्धा की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित की।
भाषा वैभव