मौजूदा समय में कल्याणकारी उपायों का लक्ष्य है सशक्तीकरण करना: सीतारमण
सुभाष पवनेश
- 14 Nov 2024, 07:49 PM
- Updated: 07:49 PM
धर्मस्थल(कर्नाटक), 14 नवंबर (भाषा) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को इस बात पर जोर दिया कि कल्याणकारी उपाय हमेशा से किये जाते रहे हैं, लेकिन अब यह बदलाव आया है कि इनसे लाभार्थियों को संरक्षण मिलना बंद हो गया है और इसके बजाय, लोग ऐसे विपणन योग्य उत्पाद बना रहे हैं जिनसे उन्हें लाभ प्राप्त हो रहा है।
सीतारमण ने श्री क्षेत्र धर्मस्थल ग्रामीण विकास परियोजना (एसकेडीआरडीपी) के तहत स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों के लिए लाभांश वितरण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। यह संगठन सामाजिक और आर्थिक विकास में चार दशकों से अधिक समय से सेवा दे रहा है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘आज, कल्याण तो होता है, लेकिन महिलाओं को यह कहकर आत्मसम्मान दिया जाता है कि 'मैं अपना लाभ खुद हासिल कर रही हूं।' यह सिर्फ दयालुता नहीं है, बल्कि उन्हें लगता है वे कुछ निर्मित करने और कुछ ऐसा करने में सक्षम हैं जिसकी बाजार में संभावना है।’’
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि गरीबी उन्मूलन के लिए सशक्तीकरण बहुत जरूरी है और उन्होंने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में एसकेडीआरडीपी जैसे संगठनों की भूमिका की प्रशंसा की।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, ग्रामीण महिलाएं गांव के विकास में सबसे आगे हैं, वे अपने लिए उपयुक्त परियोजनाओं की पहचान करती हैं और यह निर्धारित करती हैं कि वे किस तरह से योगदान देना चाहती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘स्वतंत्रता के बाद से ही धर्मस्थल ग्रामीण विकास गतिविधियों में अग्रणी रहा है, जिससे गांवों में महिलाओं को सशक्त बनाना सुनिश्चित हुआ।’’ सीतारमण ने कहा कि एसकेडीआरडीपी जैसी संस्थाओं की सफलता ने सरकारी नीतियों में बदलाव कराया है, जिसके मॉडल को कर्नाटक और उसके बाहर भी अपनाया जा रहा है।
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अध्यक्ष शाजी के वी ने नाबार्ड और एसकेडीआरडीपी के बीच दीर्घकालिक साझेदारी की सराहना की। दोनों की स्थापना 1982 में हुई थी।
इससे पहले, सीतारमण ने छह स्वयं सहायता समूहों के प्रतिनिधियों को लाभांश चेक वितरित किए, जो वित्तीय समावेशन और आत्मनिर्भरता के प्रति संगठन की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
कर्नाटक के विभिन्न क्षेत्रों से चुने गए स्वयं सहायता समूह विभिन्न धार्मिक और सामाजिक पृष्ठभूमि का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो एसकेडीआरडीपी की समावेशिता को रेखांकित करता है।
भाषा सुभाष