जमीयत ने ‘बुलडोजर न्याय’ पर शीर्ष अदालत के फैसले को कानून की सर्वोच्चता मजबूत करने वाला बताया
नोमान अविनाश
- 13 Nov 2024, 09:52 PM
- Updated: 09:52 PM
नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने ‘बुलडोजर न्याय’ को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘कानून की सर्वोच्चता को मजबूत करने’ वाला बताते हुए उम्मीद जताई कि न्यायेतर दंड का क्रूर चलन अब हमेशा के लिए बंद हो जाएगा।
आपराधिक मामलों में शामिल आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने के मामले में जमीयत शीर्ष अदालत में एक याचिकाकर्ता थी।
न्यायालय ने हाल में चलन में आए ‘बुलडोजर न्याय’ की तुलना अराजक स्थिति से की और देशभर के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि कारण बताओ नोटिस दिए बिना किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाए तथा प्रभावितों को जवाब देने के लिए 15 दिन का वक्त दिया जाना चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि प्राधिकारी उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नागरिकों की संपत्ति को ध्वस्त करके उन्हें दंडित नहीं कर सकते। न्यायालय ने ऐसी ज्यादतियों को ‘‘मनमाना’’ करार दिया और कहा कि इससे सख्ती से निपटे जाने की जरूरत है।
फैसले का स्वागत करते हुए जमीयत उलेमा-हिंद (एएम) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह बहुत खुशी और संतोष का दिन है क्योंकि मुस्लिम संगठन का कानूनी संघर्ष सफल रहा है और गरीबों और उत्पीड़ितों को, चाहे वे हिंदू हों या मुस्लिम, उच्चतम न्यायालय से इंसाफ मिला है।
उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि अगर कोई व्यक्ति अपराध करता है तो उसकी सजा उसके परिवार के सदस्यों को नहीं मिलनी चाहिए। न्यायालय ने भी अपने फैसले में यही बात कही है।”
अरशद मदनी ने कहा कि बुलडोजर की कार्रवाई न सिर्फ अमानवीय चलन है, बल्कि यह न्यायपालिका और कानून दोनों का अपमान भी है।
उन्होंने कहा कि न्यायालय ने राज्यों को इस निर्णय का दुरुपयोग करने या कानूनी कार्रवाई की आड़ में किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाने के लिए किसी भी खामियों का फायदा उठाने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी है।
मौलाना अरशद मदनी ने कहा, “हम च्चतम न्यायालय को बधाई देते हैं कि उसने ऐसा ऐतिहासिक फैसला दिया जिसने एक बार फिर कानून और न्याय की सर्वोच्चता को प्रदर्शित किया। हम उम्मीद करते हैं कि शीर्ष अदालत द्वारा जारी सख्त दिशानिर्देशों से बुलडोजर और इस क्रूर न्यायेतर दंड पर अंकुश लगेगा। यह श्रृंखला हमेशा के लिए बंद हो जाएगी।”
महमूद मदनी ने भी “बुलडोजर न्याय” के खिलाफ शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया तथा इसे कानून के शासन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक अहम कदम बताया।
राज्यसभा के पूर्व सदस्य महमूद मदनी ने मांग की कि उन सभी लोगों को मुआवजा दिया जाना चाहिए जिनकी संपत्तियां उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ध्वस्त कर दी गईं।
जमीयत दो गुटों में बंटा हुआ है। इसके एक गुट की अगुवाई अरशद मदनी और दूसरे गुट का नेतृत्व उनके भतीजे महमूद मदनी करते हैं।
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